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पहल : युवा गोबर से तराश रहा गणपति की ईकाे फ्रेंडली प्रतिमाएं

युवक के द्वारा गाय के गोबर से गणपति प्रतिमा बनाने और पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए गए प्रयास आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है।

बांसवाड़ाSep 04, 2024 / 09:14 pm

Ashish vajpayee

गोबर से गणपति की ईको फ्रेंडली प्रतिमा बनाते रक्षित त्रिवेदी।

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आमतौर पर घरों में पीओपी और धातु से बनी प्रतिमाओं का पूजन करते देखा जा सकता है। गणपति स्थापना को लेकर इन दिनों बाजार में जगह-जगह गणेश प्रतिमाएं बेचने वालों की दुकानें आसानी से देखने को मिल जाती है। सहजता के कारण जहां हर कोई प्रतिमा की खरीदी भी करता है। पीओपी से पर्यावरण से नुकसान को बचाने और और कुछ अलग हट करने के लिए बांसवाड़ा के एक युवा ने कदम बढ़ाया है।
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इसने तीन वर्ष पूर्व गाय के गोबर से गणेश प्रतिमाएं बनाना शुरू किया। जो अब वृहत रूप ले चुका है। युवा रक्षित त्रिवेदी बताते हैं कि अब वे वर्ष पर्यंत इस कार्य को करते हैं। चूंकि गोबर से प्रतिमा बनाने में काफी समय लगता है, इसलिए कम समय में अधिक तादाद में बनाना सहज नहीं है। इस कारण ही उन्हें इन प्रतिमाओं को बनाने का काम पूरे वर्ष करना पड़ता है। वे बताते हैं अब मेरे इस काम में घर के सभी लोग सहयोग करते हैं।
18 दिन में सूखती है प्रतिमा, 30 दिन में होती है पूरी

युवा रक्षित बताते हैं कि गोबर से बनी प्रतिमा को बनाने में तकरीबन 30 दिन का समय लग जाता है। इसे सूखने में ही 18 दिन लगते हैं। सूखने के बाद प्रतिमा में कई दरारें पड़ जाती हैं। इसे भरने और शृंगार करने में शेष दिन लग जाते हैं।
बरसों तक इन प्रतिमाओं में नहीं आती खराबी

रक्षित बताते हैं कि हवादार स्थान पर इन प्रतिमाओं को रखा जाए और पानी से बचाया जाए तो दन प्रतिमाओं को कुछ नहीं होता। बरसों तक इन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है और पूजन किया जा सकता है। पर्यावरण सुरक्षा में अहम भूमिका रक्षित बताते हैं कि गोबर से बनी प्रतिमा ईको फ्रेंडली है, यदि पानी में इनका विसर्जन किया जाए तो ये पानी को दूषित नहीं करती हैं। बल्कि कुछ समय पश्चात घुल जाती हैं।
ऐसे शुरू हुआ सिलसिला

वे बताते हैं कि एक परिजन से चर्चा के बाद अहसास हुआ कि पूजन सामग्री आदि को गाय के गोबर से बनानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने गोबर से प्रतिमा बनाना शुरू किया।
इनसे बनाते हैं गोबर की प्रतिमा

– गाय का गोबर

– मैदा

– लकड़ी का बुरादा

– डिस्टेंम्पर

– शृंगार का सामाना

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