भोपाल.पवित्र माह कार्तिक शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार व्रतों में एकादशी और महीनों में कार्तिक माह भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। इसीलिए इस माह में नदी, तालाब में स्नान और दान का पुण्य विधान है। महिलाएं कार्तिक स्नान का व्रत करती हैं। लेकिन, राजधानी के तालाबों के शहर में भी कोई ऐसा घाट नहीं है जहां सुगम स्नान की सुविधा हो। किसी तरह स्नान कर भी लें तो कपड़े बदलने की व्यवस्था नहीं है। दूसरे शहर के भीतर से बहने वाली नदी कलियासोत सूखी है। इसका 70 फीसदी हिस्सा कोलार क्षेत्र में है। यहां कोई दीपदान करना चाहे तो उसकी भी सुविधा नहीं है। कोलार की करीब दो लाख से अधिक की आबादी नदी को पुण्य सलिला बनाने के लिए नदी पर स्नान घाट बनाने की मांग कर रही है। ताकि उनकी धार्मिक मान्यताएं, व्रत और त्योहार अच्छे से मन सके।
कार्तिक माह में दीपदान का महत्व
पंडित रूपनारायण शास्त्री के अनुसार कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर) को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस मास में सूर्योदय से पूर्व नदी, तालाब या पवित्र जलाशयों में स्नान करने व दीपदान विशेष पुण्यकारी होता है। स्नान, व्रत, दीपदान, और भगवान विष्णु की आराधना को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
महिलाओं के कपड़े बदलने की किसी घाट पर व्यवस्था नहीं
महिलाओं के स्नान के बाद कपड़े बदलने की किसी भी घाट पर व्यवस्था नहीं है। जबकि, शरदपूॢणमा, महालक्ष्मी, छठ पूजा, शीतला सप्तमी, सोमवती अमावस्या, कार्तिक स्नान, संतान साते, हरतालिका तीज आदि पर्वों पर हर घाट पर 500 से एक हजार महिलाएं पूजन, स्नान के लिए आती हैं। यहां उन्हें खुले में ही नहाना और कपड़े बदलना पड़ता है।
इन घाटों पर हो व्यवस्था
बड़ा तालाब पर शीतलदास की बगिया घाट, कमलापार्क, फतेहगढ़ स्थित माता घाट, प्रेमपुराघाट भदभदा घाट और छोटे तालाब में गिन्नौरी घाट बुधवारा, खटलापुरा घाट, जहांगीराबाद, काली घाट, कालीजी का मंदिर तलैया आदि।
रहवासी बोले-कलियासोत नदी में भी बने घाट
-साईं हिल्स निवासी आनंद रावत का कहना है कि कलियासोत नदी उनके घर से बमुश्किल 200 मीटर दूर बहती है, लेकिन दीपदान करने के लिए यहां कोई घाट नहीं है। घाट बनना चाहिए।
Hindi News / News Bulletin / कलियासोत में बने घाट तो हो दीपदान