हाइपरपिगमेंटेशन के प्रकार क्या है : What are the types of hyper pigmentation
मेलास्मा हाइपरपिगमेंटेशन का एक सामान्य रूप है, जो प्रायः महिलाओं में गर्भावस्था या हार्मोनल बदलावों के समय देखा जाता है। सूर्य के संपर्क में आने से छोटे, भूरे या काले धब्बे, जिन्हें सन स्पॉट्स कहा जाता है, उत्पन्न होते हैं। पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन त्वचा की चोटों, जैसे मुंहासे, एक्जिमा या अन्य चोटों के बाद विकसित हो सकता है। कुछ दवाएं, जैसे कुछ एंटीबायोटिक्स और गर्भनिरोधक गोलियां, भी हाइपरपिगमेंटेशन का कारण बन सकती हैं। हाइपरपिगमेंटेशन के कारणों को समझिए : Understand the causes of hyper pigmentation
- सूरज की पराबैंगनी (UV) किरणें मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ा सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरपिगमेंटेशन हो सकता है।
- हार्मोनल परिवर्तन, गर्भावस्था, मेनोपॉज और कुछ चिकित्सा स्थितियाँ हार्मोन के स्तर में बदलाव लाकर हाइपरपिगमेंटेशन का कारण बन सकती हैं।
- मुंहासे, एक्जिमा या चोटें त्वचा में सूजन उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे हाइपरपिगमेंटेशन हो सकता है। कुछ दवाएं, जैसे कि विशेष एंटीबायोटिक्स और गर्भनिरोधक गोलियां, हाइपरपिगमेंटेशन का दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकती हैं।
- आनुवंशिक विकार भी इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
हाइपरपिगमेंटेशन को रोकने के उपाय : Ways to prevent hyper pigmentation
- सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
- तेज धूप से बचने का प्रयास करें, विशेष रूप से सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच।
- जब आप बाहर हों, तो चौड़े किनारे वाली टोपी और धूप का चश्मा पहनना न भूलें।
- त्वचा को हल्का करने वाली क्रीमों का उपयोग हाइपरपिगमेंटेशन को रोकने या कम करने में सहायक हो सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।