जिले की क्या स्थिति
जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ में टोटल वर्किंग 9237 थे। इनमें से 5416 एप्लीकेशन क्रिएट की जा चुकी थी तथा 4014 एप्लीकेशन उच्चाधिकारियों को फोरवर्ड की जा चुकी थी। जिले में सबमिशन रिपोर्टी प्रतिशत 42.64 प्रतिशत तथा सबमिशन रिपोर्टिंग 9.33 प्रतिशत थी। हनुमानगढ़ से ज्यादा बूंदी व बारां की सबमिशन रिपोर्टी प्रतिशत क्रमश: 45.4 व 44.88 प्रतिशत थी।
इन जिलों में खराब स्थिति
प्रदेश में जोधपुर, बाड़मेर, उदयपुर, अजमेर, नागौर सहित एक दर्जन के करीब जिलों की स्थिति तो यह है कि टोटल वर्किंग की तुलना में एप्लीकेशन ही 40 से 45 प्रतिशत तक क्रिएट की गई। करीब 18 जिलों में सबमिशन रिपोर्टी प्रतिशत बेहद कम होने पर वे रेड जोन में थे।
क्या है उपयोगिता व महत्व
वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन भरने संबंधी प्रक्रिया की उपयोगिता की बात करें तो इसमें कर्मचारी को अपने कामकाज के आधार पर सारा विवरण देना पड़ता है। उसने नामांकन, अन्य विभागीय लक्ष्य हासिल करने, शिक्षण कार्य आदि में कैसा प्रदर्शन किया, यह सब प्रतिवेदन में भरना होता है। इसके आधार पर कर्मचारी अपने कार्य व ड्यूटी के प्रति गंभीर रहता है। इसके आधार पर ही पदोन्नति वगैरह की प्रक्रिया होती है। कर्मचारी के प्रतिवेदन भरने के बाद उसका कार्यालय अध्यक्ष उसको सत्यापित करता है। यदि वह कर्मचारी को श्रेष्ठ बताता है तो इसका आधार बताना होता है। यदि कर्मचारी को लापरवाह बताया जाता है तो उसका भी आधार बताना पड़ता है।
पहले सात साल, अब हर साल
पहले वार्षिक प्रतिवेदन की प्रक्रिया ऑफलाइन थी, इसे एसीआर कहा जाता था। यह प्रतिवेदन हर साल नहीं भरा जाता था। केवल पदोन्नति आदि प्रक्रिया के दौरान एक साथ सात साल की एसीआर मांगी जाती थी। इससे अचानक से विभागीय कामकाज बढ़ जाता था। कर्मचारियों को भी एसीआर तैयार कराने में माथापच्ची करनी पड़ती थी। अब पिछले तीन-चार साल से यह प्रक्रिया ऑनलाइन हर साल होती है।