जिले में मूंग खरीदी के लिए प्रशासनिक स्तर पर 41 समितियों को चयनित किया गया था, लेकिन किसी कारण से तीन समितियों ने खरीदी नहीं की। जिन 38 समितियों ने खरीदी की है उसमें जमकर फर्जीवाड़ा सामने आया है। मिलीभगत से किसानों के नाम पर फर्जी बिल फाडऩे की बात जांच में पहले ही उजागर हो चुकी है। इसके बाद अब यह तथ्य सामने आए हैं कि कई समितियों ने जो मूंग खरीदी है उसमें से 50 फीसदी एफएक्यू क्वालिटी की नहीं है।
– 10332 किसानों से हुई खरीदी
शासन ने ग्रीष्मकालीन मूंग का समर्थन मूल्य 8558 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था। जिसके लिए जिले के 16089 किसानों ने पंजीयन कराए थे। इसमें से 10332 किसानों से 1 लाख 97 हजार 196 क्विंटल मूंग की खरीदी की गई थी। जिसमें जांच के बाद 22520 क्विंटल मूंग रिजेक्ट कर दी है। खरीदी पांच दिन पहले यानी 5 अगस्त को समाप्त हो चुकी है, लेकिन रिजेक्ट हुई इस अमानक मूंग की ग्रडिंग कर एफएक्यू क्वालिटी की तैयार करने के लिए सहकारी समितियां ग्रेडिंग करने में जुटी हैं।
– खरीदी के दौरान नहीं दिया ध्यान
मूंग खरीदी में फर्जीवाड़ा होने को लेकर पहले से ही आशंका जाहिर की जा रही थी। यहां तक यह बात प्रदेश सरकार तक पहुंच चुकी थी। जिसके बाद भोपाल स्तर से खरीदी की जांच कराने के लिए सभी जिलों में टीमें भेजी गईं, लेकिन स्थानीय जिम्मेदार अधिकारियों ने खरीदी के दौरान इस फर्जीवाड़े पर ध्यान ही नहीं दिया। सहकारी समितियां सर्वेयर से सांठगांठ कर अमानक मूंग की खरीदी करती रहीं और अब फिर से उन्हें बचाने के लिए ग्रेडिंग करने का समय दे दिया है। हैरानी की बात यह है कि करोड़ों के इस फर्जीवाड़े में किसी पर भी एफआइआर दर्ज नहीं कराई गई है। – रिजेक्ट मूंग वाली टॉप-10 समितियां
– समिति, कुल खरीदी, रिजेक्ट माल
बेलढाना, 7997, 5777
साईंबाबा रजवांस, 6719, 3407
बेरखेड़ी सड़क, 8007, 3043
गौरझामर, 9211, 1680
बीना-इटावा, 2623, 1165
सिलौधा, 3841, 1017
केरवना, 6381, 973
पिपरिया भटौली, 9974, 950
छुल्ला, 7309, 705
चंदोख, 4411, 510
– इन समितियों का माल भी रिजेक्ट
समिति, कुल खरीदी, रिजेक्ट
छिरारी, 5867, 500
रहली, 7067, 400
गुंजोरा, 10522, 369.91
जरुआ, 2609, 359
रहली, 6858, 300
धनगुंवा, 3266, 300
चितौरा, 1045, 268
नीमोन, 2800, 259
मोहली, 3759, 194.50
महाराजपुर, 4462, 150
बम्होरी, 4148, 127.50
भैंसा, 6523, 62.50
– ग्रेडिंग कर पूर्ति करनी होगी
जिन समितियों की मूंग रिजेक्ट की गई है उन्हें ग्रेडिंग करने का मौका दिया गया है। जिससे किसानों को होने वाले भुगतान में समस्या न आए। समितियों को अमानक माल की पूर्ति करनी होगी।
राखी रघुवंशी, जिला विपणन अधिकारी मूंग खरीदी में फर्जीवाड़ा होने को लेकर पहले से ही आशंका जाहिर की जा रही थी। यहां तक यह बात प्रदेश सरकार तक पहुंच चुकी थी। जिसके बाद भोपाल स्तर से खरीदी की जांच कराने के लिए सभी जिलों में टीमें भेजी गईं, लेकिन स्थानीय जिम्मेदार अधिकारियों ने खरीदी के दौरान इस फर्जीवाड़े पर ध्यान ही नहीं दिया। सहकारी समितियां सर्वेयर से सांठगांठ कर अमानक मूंग की खरीदी करती रहीं और अब फिर से उन्हें बचाने के लिए ग्रेडिंग करने का समय दे दिया है। हैरानी की बात यह है कि करोड़ों के इस फर्जीवाड़े में किसी पर भी एफआइआर दर्ज नहीं कराई गई है।