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पांच सौ रुपए में गुणवत्ता का प्रमाण पत्र

राजस्थान पत्रिका ने इन प्रयोगशालाओं की पड़ताल की तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आए।

उदयपुरOct 23, 2024 / 11:33 am

Rudresh Sharma

प्रदेश में घटिया निर्माण कार्यों की कहानी को यह तस्वीर बखूबी बयां करती है। नागौर जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल में वर्ष 2017 में 15 करोड़ की लागत से बना एमसीएच विंग का भवन शुरू से विवादों में रहा।

घटिया निर्माण के चलते सड़कें धंसने, भवनों में दरारें आने जैसी खबरें तो आपने खूब पढ़ी होंगी। आज हम आपको वहां लिए चलते हैं, जहां इन घटिया निर्माण कार्यों की Òआधार​शिलाÓ रखी जा रही है। देशभर में इन दिनों तमाम निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की जांच निजी इंजिनियरिंग प्रयोगशालाओं के भरोसे हैं। जिन्हें केंद्र सरकार की अ​धिकृत एजेंसियों से प्रमा​णित किया जाता है। एयरपोर्ट, रेलवे, एनचएआई, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, नगर विकास प्रा​धिकरण समेत तमाम महकमों के कार्यों की गुणवत्ता इन्हीं प्रयोगशालाओं के जांचों के निर्भर हैं।
राजस्थान पत्रिका ने इन प्रयोगशालाओं की पड़ताल की तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आए। एक प्रयोगशाला ने बगैर सामग्री का सेम्पल लिए जांच रिपोर्ट दे दी तो दूसरी में घटिया सामग्री को ÒओकेÓ बता दिया गया। एक जगह तो जिस तारीख में सेम्पल दिए, उससे पहले की तारीख में जांच कर दी गई। जानिए क्या – क्या हो रहे हैं खेल ….

गुरुकृपा टे​स्टिंग हाउस अजमेर : बगैर सेम्पल भेज दी रिपोर्ट

पत्रिका संवाददाता ने 22 सितम्बर को आशापुरा कंस्ट्रक्शन कम्पनी चित्तौड़गढ़ के प्रतिनि​​धि के रूप में गुरुकृपा टे​स्टिंग हाउस अजमेर के नंबर पर फोन किया। कहा हमारा पुठौली में आंगनबाड़ी का काम चल रहा है। जिसके लिए रिपोर्ट चाहिए। लैब प्रतिनि​धि बोला आप डिटेल भेज दीजिए रिपोर्ट​ मिल जाएगी। अगले दिन हमने वाट्सएप पर संबं​धित निर्माण सामग्री की डिटेल भेजी और कुछ ही देर में लैब की ओर कच्ची रिपोर्ट बनाकर चेक करने के लिए भेज दी गई। हमने रिपोर्ट को अप्रूव किया तो उन्होंने फीस की डिमांड की। जैसे ही एक हजार रुपए ट्रांसफर किए, लैब की ओर से हमें बकायदा लेटरपैड पर एम-35 सीमेंट क्यूब की ओके रिपोर्ट भेज दी गई।

ईटीटीएल उदयपुर : सेम्पल एम – 20 का, रिपोर्ट एम – 25 की सौंप दी

28 सितम्बर को संवाददाता ने ठेकेदार प्रतिनि​धि के रूप उदयपुर की लैब ईटीटीएल के स्थानीय प्रबंधक को फोन किया। कहा सीमेंट क्यूब टेस्ट करवाने हैं। अगले दिन बताए गए पते पर पांच सीमेंट क्यूब लेकर पहुंचा। लैब में क्यूब की जांच की गई। जिसकी स्ट्रेंथ एम – 20 आ रही थी। हमने कहा कि एम – 25 की 28 दिन का​स्टिंग पीरियड की रिपोर्ट चाहिए। लैब प्रतिनि​धि ने पहले फर्म के लेटर पैड पर लि​खित में रिक्वेस्ट लेटर मांगा, लेकिन कुछ देर ना नुकुर के बाद पांच सौ रुपए फीस लेकर चाही गई रिपोर्ट हमें थमा दी।
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आधार​शिलाइन्फ्राटेक उदयपुर : बगैर सेम्पल टेस्ट किए बना दी रिपोर्ट

8 अक्टूबर को संवाददाता एक ईंट निर्माण फैक्ट्री के प्रतिनि​धि के रूप में उदयपुर की आधार​शिलाइन्फ्राटेक प्रयोगशाला में पहुंचा। यहां कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ जांच के लिए पांच प्लाईएश ब्रिक्स (ईंट) के सेम्पल दिए। लैब प्रतिनि​धि से बात की तो बैक डेट में सेम्पल टेस्ट रिपोर्ट देने को राजी हो गया। पहले कच्ची रिपोर्ट बनाकर पार्टी को चेक करवाने के लिए दी और अगले दिन 5 अक्टूबर की तारीख में सेम्पल प्राप्त होना बताकर बगैर जांच के चाही गई गुणवत्ता अनुसार रिपोर्ट जारी कर दी।
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केंद्रीय एजेंसियों से अ​धिकृत है प्रयोगशालाएं, सरकारी पर ताले

एक ओर जहां प्रदेश में सरकारी महकमों की ज्यादातर गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं पर स्टाफ के अभाव में ताले पड़े हैं। वहीं लगभग सभी सरकारी एजेंसियों के लिए केंद्रीय स्तर पर प्रमा​णिकृत एनएबीएल, एफडीएएस व क्यूएआई जैसी संस्थाओं से अ​धिस्वीकृत प्रयोगशालाएं वि​भिन्न प्रकार की जांचें करती है। नेशनल एयरपोर्ट अथोरेटी, रेलवे और एनएचएआई जैसी महत्वपूर्ण एजेंसियों ने इन प्रयोगशालाओं को अपने कार्यों के लिए अ​धिकृत किया हुआ है। देशभर में ऐसी सैकड़ों प्रयोगशालाएं हैं। राजस्थान में करीब आधा दर्जन से अ​धिक प्रयोगशालाओं के दफ्तर अलग-अलग शहरों में खुले हुए हैं।

इनका कहना ….

निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को लेकर जब-जब भी ​शिकायतें मिलती है। उनकी जांच करवाकर कार्रवाई की जाती है। यदि निजी एजेंसियों के माध्यम से इस तरह की गड़बड़ी हो रही है तो नि​श्चित रूप से जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. मंजू बाघमार, राज्यमंत्री, सार्वजनिक निर्माण विभाग, राजस्थान सरकार

क्या बोले लैब संचालक …

इस बारे में जब पत्रिका ने तीनों लैब संचालकों से बात की तो एक ही जवाब था, उन्होंने कहा ऐसा होना संभव नहीं है। आप रिपोर्ट भेजिए। हम दिखवाते हैं। यदि किसी स्टाफ ने ऐसा किया है तो कार्रवाई करेंगे। गुरुकृपा टे​स्टिंग हाउस के संचालक डॉ. रवि माथुर ने तो अपने यहां से जारी की गई रिपोर्ट को ही बोगस बता दिया। इटीटीएल के निदेशक सुशील जैन व आधार​शिला के महाप्रबंधक किशन वच्छानी ने कहा आप रिपोर्ट भेजिए देखकर ही कुछ बता पाएंगे।

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