राजस्थान पत्रिका ने इन प्रयोगशालाओं की पड़ताल की तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आए। एक प्रयोगशाला ने बगैर सामग्री का सेम्पल लिए जांच रिपोर्ट दे दी तो दूसरी में घटिया सामग्री को ÒओकेÓ बता दिया गया। एक जगह तो जिस तारीख में सेम्पल दिए, उससे पहले की तारीख में जांच कर दी गई। जानिए क्या – क्या हो रहे हैं खेल ….
गुरुकृपा टेस्टिंग हाउस अजमेर : बगैर सेम्पल भेज दी रिपोर्ट
पत्रिका संवाददाता ने 22 सितम्बर को आशापुरा कंस्ट्रक्शन कम्पनी चित्तौड़गढ़ के प्रतिनिधि के रूप में गुरुकृपा टेस्टिंग हाउस अजमेर के नंबर पर फोन किया। कहा हमारा पुठौली में आंगनबाड़ी का काम चल रहा है। जिसके लिए रिपोर्ट चाहिए। लैब प्रतिनिधि बोला आप डिटेल भेज दीजिए रिपोर्ट मिल जाएगी। अगले दिन हमने वाट्सएप पर संबंधित निर्माण सामग्री की डिटेल भेजी और कुछ ही देर में लैब की ओर कच्ची रिपोर्ट बनाकर चेक करने के लिए भेज दी गई। हमने रिपोर्ट को अप्रूव किया तो उन्होंने फीस की डिमांड की। जैसे ही एक हजार रुपए ट्रांसफर किए, लैब की ओर से हमें बकायदा लेटरपैड पर एम-35 सीमेंट क्यूब की ओके रिपोर्ट भेज दी गई।ईटीटीएल उदयपुर : सेम्पल एम – 20 का, रिपोर्ट एम – 25 की सौंप दी
28 सितम्बर को संवाददाता ने ठेकेदार प्रतिनिधि के रूप उदयपुर की लैब ईटीटीएल के स्थानीय प्रबंधक को फोन किया। कहा सीमेंट क्यूब टेस्ट करवाने हैं। अगले दिन बताए गए पते पर पांच सीमेंट क्यूब लेकर पहुंचा। लैब में क्यूब की जांच की गई। जिसकी स्ट्रेंथ एम – 20 आ रही थी। हमने कहा कि एम – 25 की 28 दिन कास्टिंग पीरियड की रिपोर्ट चाहिए। लैब प्रतिनिधि ने पहले फर्म के लेटर पैड पर लिखित में रिक्वेस्ट लेटर मांगा, लेकिन कुछ देर ना नुकुर के बाद पांच सौ रुपए फीस लेकर चाही गई रिपोर्ट हमें थमा दी।आधारशिलाइन्फ्राटेक उदयपुर : बगैर सेम्पल टेस्ट किए बना दी रिपोर्ट
8 अक्टूबर को संवाददाता एक ईंट निर्माण फैक्ट्री के प्रतिनिधि के रूप में उदयपुर की आधारशिलाइन्फ्राटेक प्रयोगशाला में पहुंचा। यहां कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ जांच के लिए पांच प्लाईएश ब्रिक्स (ईंट) के सेम्पल दिए। लैब प्रतिनिधि से बात की तो बैक डेट में सेम्पल टेस्ट रिपोर्ट देने को राजी हो गया। पहले कच्ची रिपोर्ट बनाकर पार्टी को चेक करवाने के लिए दी और अगले दिन 5 अक्टूबर की तारीख में सेम्पल प्राप्त होना बताकर बगैर जांच के चाही गई गुणवत्ता अनुसार रिपोर्ट जारी कर दी।केंद्रीय एजेंसियों से अधिकृत है प्रयोगशालाएं, सरकारी पर ताले
एक ओर जहां प्रदेश में सरकारी महकमों की ज्यादातर गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं पर स्टाफ के अभाव में ताले पड़े हैं। वहीं लगभग सभी सरकारी एजेंसियों के लिए केंद्रीय स्तर पर प्रमाणिकृत एनएबीएल, एफडीएएस व क्यूएआई जैसी संस्थाओं से अधिस्वीकृत प्रयोगशालाएं विभिन्न प्रकार की जांचें करती है। नेशनल एयरपोर्ट अथोरेटी, रेलवे और एनएचएआई जैसी महत्वपूर्ण एजेंसियों ने इन प्रयोगशालाओं को अपने कार्यों के लिए अधिकृत किया हुआ है। देशभर में ऐसी सैकड़ों प्रयोगशालाएं हैं। राजस्थान में करीब आधा दर्जन से अधिक प्रयोगशालाओं के दफ्तर अलग-अलग शहरों में खुले हुए हैं।इनका कहना ….
निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को लेकर जब-जब भी शिकायतें मिलती है। उनकी जांच करवाकर कार्रवाई की जाती है। यदि निजी एजेंसियों के माध्यम से इस तरह की गड़बड़ी हो रही है तो निश्चित रूप से जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. मंजू बाघमार, राज्यमंत्री, सार्वजनिक निर्माण विभाग, राजस्थान सरकार