कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रतेंद्र नाथ सुगर ने कहा कि जिले में लाल चने की बुवाई का लक्ष्य 84,500 हेक्टेयर है। लेकिन अनुकूल वातावरण और उचित वर्षा के कारण बुवाई का क्षेत्र 1,00,652 हेक्टेयर तक पहुंच गया है।वर्तमान में, लाल चने की फसल फूलने की अवस्था में है और यह फसल के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि है क्योंकि हेलियोथिस आर्सिजोसर (कीड़ा) फसल की कलियों पर हमला करने लगते हैं। इसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा। इसलिए, हमने किसानों को प्रोफेनोफास का छिड़काव करने की सलाह दी है। किसान ऐसे हमलों को रोकने के लिए मानव शक्ति के बजाय कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं।
एक किसान ने कहा, एक ड्रोन एक घंटे में एक एकड़ खेती वाले क्षेत्र को कवर कर सकता है। हम एक ड्रोन के लिए प्रति घंटे करीब 400 रुपए किराया दे रहे हैं। रसायन के छिडक़ाव के लिए जनशक्ति का उपयोग लाभदायक नहीं है क्योंकि एक व्यक्ति को प्रतिदिन मजदूरी ड्रोन के लिए भुगतान की जाने वाली राशि से अधिक है। रसायन के छिड़काव के लिए श्रमिकों को नियुक्त करना व्यक्ति के लिए अधिक हानिकारक होगा क्योंकि पौधे के उच्च स्तर पर छिड़काव करते समय रसायन के उसके शरीर में प्रवेश करने की संभावना है। इसलिए, हम लाभदायक और सुरक्षित तरीके के रूप में छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैंं।