यह भी पढ़ें : युवा बेटे को कंधा देते हुए बिलख उठे कलेक्टर, जबलपुर में भाई ने दी मुखाग्नि दिग्विजय सिंह अभी राज्यसभा सदस्य हैं हालांकि उनका कार्यकाल कम बचा है। वे 77 साल के हो चुके हैं। राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने के तुरंत बाद से ही दिग्विजय सिंह इसे अपना अंतिम चुनाव बताते आए हैं। ऐसे में राजगढ़ की हार के बाद दिग्विजय सिंह द्वारा राजनीति छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। दिग्विजय सिंह ने कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की एक कविता अपने एक्स हेंडल पर पोस्ट कर इन अटकलों को नकार दिया है।
दिग्विजय सिंह का ट्वीट यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।। स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।। स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।। लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।। लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।। शिवमंगल सिंह ‘सुमन
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।। शिवमंगल सिंह ‘सुमन