पन्ना. शहर के लोगों के लिए बुधवार की सुबह एक बार फिर बुरी खबर लेकर आई। डेंगू से पीडि़त शहर की बेटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर ऋचा अग्रवाल 27 वर्ष की सुबह जबलपुर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। शहर में डेंगू बुखार से एक सप्ताह में दूसरी मौत नगरवासी दहशत में हैं।
एक सप्ताह में दूसरी मौत
जानकारी के अनुसार, शहर के बड़ा बाजार निवासी, राजेंद्र अग्रवाल की इकलौती बेटी ऋचा अग्रवाल पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। पन्ना शहर में ही रहकर वर्क फ्रॉम होम ड्यूटी कर रही थी। ऋचा को चार दिन पहले बुखार आना शुरू हुआ। इलाज के लिए पहले सतना ले जाया गया था, जहां बिरला हॉस्पिटल में उपचार कराया गया। तबीयत और बिगडऩे पर उन्हें आनन-फानन में जबलपुर रेफर किया गया, लेकिन ऋचा डेंगू से ङ्क्षजदगी की जंग हार गई। बुधवार सुबह 5.30 बजे इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। ऋचा की डेंगू से मौत होने पर नगर के व्यापारियों में शोक तथा प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
शहर में डेंगू से दहशत
शहर में तेजी से फैल रहे डेंगू का दंश रोकने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक जमीनी स्तर पर कोई ठोस उपाय नहीं किए। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह में डेंगू से शहर में दूसरी मौत हो चुकी है। वहीं 50 से अधिक लोग पीडि़त है। इसके बावजूद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए। गौरतलब है कि बीते बुधवार को डेंगू बुखार से पीडि़त शिक्षा विभाग के लिपिक मुकेश मोदी की जबलपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
कागज में चल रहे रोकथाम के उपाय
जिला मुख्यालय में स्वास्थ्य और प्रशासन के अधिकारियों की नाक के नीचे शहर की जनता मच्छर जनित जानलेवा बीमारियों से आन गंवा रही है। इसकी जानकारी होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू संक्रमित क्षेत्रों को चिह्नित करने, मरीजों की जांच और मच्छरों की रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। कार्रवाई के नाम पर नगर पालिका की टीम नालियों की सफाई कर दवा छिड़कने की खानापूर्ति कर रही है।
एक सप्ताह में दूसरी मौत
जानकारी के अनुसार, शहर के बड़ा बाजार निवासी, राजेंद्र अग्रवाल की इकलौती बेटी ऋचा अग्रवाल पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। पन्ना शहर में ही रहकर वर्क फ्रॉम होम ड्यूटी कर रही थी। ऋचा को चार दिन पहले बुखार आना शुरू हुआ। इलाज के लिए पहले सतना ले जाया गया था, जहां बिरला हॉस्पिटल में उपचार कराया गया। तबीयत और बिगडऩे पर उन्हें आनन-फानन में जबलपुर रेफर किया गया, लेकिन ऋचा डेंगू से ङ्क्षजदगी की जंग हार गई। बुधवार सुबह 5.30 बजे इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। ऋचा की डेंगू से मौत होने पर नगर के व्यापारियों में शोक तथा प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
शहर में डेंगू से दहशत
शहर में तेजी से फैल रहे डेंगू का दंश रोकने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक जमीनी स्तर पर कोई ठोस उपाय नहीं किए। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह में डेंगू से शहर में दूसरी मौत हो चुकी है। वहीं 50 से अधिक लोग पीडि़त है। इसके बावजूद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए। गौरतलब है कि बीते बुधवार को डेंगू बुखार से पीडि़त शिक्षा विभाग के लिपिक मुकेश मोदी की जबलपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
कागज में चल रहे रोकथाम के उपाय
जिला मुख्यालय में स्वास्थ्य और प्रशासन के अधिकारियों की नाक के नीचे शहर की जनता मच्छर जनित जानलेवा बीमारियों से आन गंवा रही है। इसकी जानकारी होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू संक्रमित क्षेत्रों को चिह्नित करने, मरीजों की जांच और मच्छरों की रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। कार्रवाई के नाम पर नगर पालिका की टीम नालियों की सफाई कर दवा छिड़कने की खानापूर्ति कर रही है।