भोपाल. एम्प्री की नई बिल्डिंग को इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट के लिए ग्रीन रेटिंग में 5 स्टार प्राप्त हुआ है। भवन का कुल क्षेत्रफल 13428 वर्ग मीटर है। परिसर में एक एडमिन और रिसर्च ब्लॉक शामिल है। अंग्रेजी के अक्षर डबलू के आकार की बिल्डिंग के भूतल पर विभिन्न प्रयोगशालाएं, विभाग और कमरे, लिफ्ट, रिसेप्शन आदि बनाए गए हैं। पहली मंजिल में वैज्ञानिकों के लिए 75 कमरे, एक निदेशक कक्ष, योजना कक्ष और प्रदर्शन प्रभाग साथ ही प्रदर्शनी हॉल, अनुसंधान विद्वानों के लिए एक आम बैठने की जगह, सेवा कक्ष, सम्मेलन कक्ष और बैठक हॉल मौजुद है। दूसरी मंजिल पर डिजिटल लाइब्रेरी, मीटिंग रूम और स्टाफ रूम के साथ वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय हैं। इसके अलावा, प्रयोगशाला ब्लॉक में विद्वानों के लिए बैठने की जगह भी है। परिसर में सभी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ एक सर्विस ब्लॉक और एक कैंटीन ब्लॉक भी है। यह परिसर 15 केएलडी सीवेज उपचार संयंत्र, 102500 लीटर की भूमिगत भंडारण क्षमता वाला एक व्यापक जल आपूर्ति नेटवर्क और एक वर्षा जल संचयन प्रणाली से भी सुसज्जित है। 11 एकड़ में बने इस परिसर को बनाने के लिए 7982लाख रु. की लागत लगी है। इस अवसर पर सीएसआइआर की डॉयरेक्टर जनरल डॉ. एन. कलैसेल्वी ने बिल्डिंग का उदघाटन किया।
नए प्रयोगशालाओं की सुविधाओं से लैस नई इमारत में एचपीएलसी लैब और बायोमिमेटिक्स और बायोमटेरियल्स लैब, ग्राफीन सेंटर की 3डी प्रिंटिंग सुविधाएं, सेमी-ऑटोमैटिक हॉट प्रेस और हाइड्रोलिक प्रेस सुविधा, एडवांस्ड रेडिएशन शील्डिंग और जियो-पॉलीमेरिक मैटेरियल्स और गामा रेडिएशन पैनल सेंटर, एक्स-रे शील्डिंग टाइल्स, बांस कम्पोजिट, बांस समग्र संरचना “बैठक, बायो ग्रीन कम्पोजिट, पराली कम्पोजिट, रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी सुविधाएं होंगी। सीएसआइआर के डॉयरेक्टर डॉ. अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह एक इको फ्रेंडली, इकोनॉमीक, एनर्जी सेविंग और इनवारमेंट फ्रेंडली बिल्डिंग है। जिसको बनाने के लिए एमप्री के इन हाउस सामग्रियों का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसकी वजह से ग्रिहा से बिल्डिंग को 95 पाइंट प्राप्त हुए हैं। फलोरिंग के लिए शागवान की जगह बांस का इस्तेमाल किया गया है।
बिल्डिंग की विशेषताएं एम्प्री की नई बिल्डिंग को इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट के लिए ग्रीन रेटिंग में 5स्टार प्राप्त हुआ है। यह एक स्मार्ट बिल्डि़ंग है। जिसमें सूर्य की रौशनी आने की व्यवस्था की गई है, साथ ही बिजली की बचत करने के लिए सेंसर बेस्ड लाइट लगाई गई है, जिसे सोलर लाइट की मदद से जलाया जाएगा। बिल्डिंग को इको फ्रेंडली, इकोनॉमीक, एनर्जी सेविंग और इनवारमेंट फ्रेंडली बनाया गया है। इसके निर्माण के लिए बाहर से कुछ भी नही मंगवाया गया है। साथ ही पेड़-पौधे, मिट्टी भी प्रंगन की ही इस्तेमाल की गई है। बिल्डिंग में प्राकृतिक सौंद्रयकर्ण का भी खास ध्यान रखा गया है। फर्श के निर्माण के लिए सागवान की जगह बांस मिश्रित टाइलों का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही एक्सरे रेडीएसन शिल्यिंग टाइलों का भी इस्तेमाल किया गया है। आनेवाले समय में लकड़ियों की जगह पराली कंपोजिट का इस्तेमाल भी किया जाएगा। कैंपस के रोड़ को बनाने के लिए इन हाउस कॉंक्रिट और सिमेंट का इस्तेमाल किया गया है।
इस प्रकार ग्रिहा से मिलती है रेटींग ग्रिहा बिल्डिंग के डिज़ाइन, निर्माण, और संचालन से जुड़े कई पैरामीटरों पर आधारित होता है। जिसके लिए बिल्डिंगों को अंक दिए जाते हैं। ग्रिहा के तहत, किसी प्रोजेक्ट को रेटिंग क्राइटेरिया को पूरा करने के बाद अंक दिए जाते हैं, इन अंकों को जोड़कर, प्रोजेक्ट को फ़ाइनल रेटिंग दी जाती है।