राजस्थान के गांवों व शहरों में बिना मालिक के घूमने वाले गाेवंश को अब आवारा नहीं कहा जाएगा। अब ऐसे गोवंश को बेसहारा या निराश्रित कहा जाएगा। इसके लिए गोपालन विभाग ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। प्रदेश के सभी जिलों के कलक्टर, जिला स्तरीय गोपालन समिति के अध्यक्ष सहित समस्त विभागों के अध्यक्षों को इस संबंध सूचना प्रेषित कर पालना सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। नोटिफिकेशन में कहा है कि गोवंश हमारी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान समय में कुछ गोवंश विभिन्न कारणों से निराश्रित अथवा बेसहारा हो जाते हैं और उन्हें असहाय स्थिति में सड़कों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर स्वतंत्र रूप से विचरण करते देखा जा सकता है। स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले ऐसे गोवंश के लिए प्राय: लोग आवारा गोवंश शब्द का उपयोग करते हैं। जो कि आवारा शब्द का इनके लिए उपयोग नितांत अनुचित एवं अपमानजन है। इसलिए स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले गोवंश को आवारा न कहकर अब निराश्रित या बेसहारा गोवंश के रूप में संबोधित किया जाना वांछनीय है।
डॉ समित शर्मा के प्रयास
इधर जानकारों का कहना है कि यह शब्दावली इन गोवंश के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान और करुणा प्रकट करती है और समाज को इनके कल्याण के प्रति उचित दृष्टिकोण रखने में सहायक सिद्ध होगी। इस बारे में राजस्थान में पशुपालन विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने झुंझुनूं समेत प्रदेश के समस्त कलक्टर सहित जिला स्तरीय गोपालन समिति व अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र जारी किया है। राजस्थान के सबसे चर्चित आईएएस डॉ समित शर्मा इससे पहले कई नवाचार कर चुके।सभी को आदेश भेज दिए
हमने क्षेत्र के सभी ग्यारह नोडल अधिकारियों व गोशाला के पदाधिकारियों को आदेश भेज दिए हैं। कोशिश करेंगे गोवंश को कोई आवारा नहीं बोले। -डॉ सुरेश सुरा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग झुंझुनूंअच्छा प्रयास
विभाग का यह अच्छा प्रयास है। इससे गोवंश के प्रति करुणा का भाव आएगा। वैसे भी गोवंश आवारा हो ही नहीं सकता। अनेक लोगों ने निजी कारणों के चलते उनको सड़कों पर छोड़ दिया। हर गांव व शहर वालों को गाय जरूर पालनी चाहिए। – प्रमोद खंडेलिया, अध्यक्ष गोपाल गोशाला झुंझुनूं