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कैबिनेट ने भारतीय रेलवे की तीन मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी

– कनेक्टिविटी के साथ यात्रा आसान होगी

-तीनों परियोजनाओं की लागत 7,927 करोड़ है, चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य

नई दिल्लीNov 26, 2024 / 11:22 am

Shadab Ahmed

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने सोमवार को रेल मंत्रालय की मल्टीट्रैकिंग की तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनकी कुल लागत करीब 7,927 करोड़ रुपए है।
इनमें 160 किमी लंबी जलगांव – मनमाड चौथी लाइन, 131 किमी लंबाई वाली भुसावल-खंडवा की तीसरी और चौथी लाइन तथा 84 किम लंबाई की प्रयागराज (इरादतगंज) – मानिकपुर तीसरी लाइन शामिल है। प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से परिचालन आसान हो जाएगा और भीड़भाड़ कम हो जाएगी, जिससे मुंबई और प्रयागराज के बीच सबसे व्यस्त खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढांचागत विकास हो सकेगा।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण तथा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों को बताया कि ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगी, जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हो पाई हैं और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी। 
तीन राज्यों यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात जिलों को कवर करने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 639 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं दो आकांक्षी जिलों (खंडवा और चित्रकूट) में कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी, जो लगभग 1,319 गांवों और लगभग 38 लाख आबादी को सेवा प्रदान करेंगी।

तीर्थ यात्रियों को होगा लाभ

प्रस्तावित परियोजनाओं से मुंबई-प्रयागराज-वाराणसी मार्ग पर अतिरिक्त यात्री ट्रेनों के संचालन से कनेक्टिविटी बढ़ेगी। इसके चलते नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर) और वाराणसी (काशी विश्वनाथ) में ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ प्रयागराज, चित्रकूट, गया और शिरडी में धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहो, अजंता और एलोरा गुफाएं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, देवगिरी किला, असीरगढ़ किला, रीवा किला, यावल वन्यजीव अभयारण्य, केवटी फॉल्स और पुरवा फॉल्स आदि जैसे विभिन्न आकर्षणों तक बेहतर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

मल परिवहन होगा किफायती

ये कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, इस्पात, सीमेंट, कंटेनर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 51मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।

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