पीएल साहू ने बताया कि सितंबर 2021 में नियमित कुलपति व उसके बाद नियमित कुलसचिव के जाइन करने के बाद अक्टूबर 2021 में कुलपति कार्यालय के लिपिक सह निज सचिव प्रवीण राठौर को मैंने अपनी समस्या बताई। जिसको लेकर प्रवीण ने कहा कि मैं कुलपति मेडम से कह कर आपका वेतन निर्धारण दो से चार माह में करा दूंगा, लेकिन इस काम के लिए आपाके 50 हजार रुपए देने होंगे, जिसमें 20 हजार एडवांस और बाकी 30 हजार रुपए काम होने के बाद। साहू ने बताया कि उन्होंने तीन नवंबर 2021 को पीए प्रवीण राठौर को एडवांस के 20 हजार रुपए दे दिए।
कुलपति के पीए प्रवीण राठौर पर आरोप है कि उन्होंने रुपए लेने के बाद बहानेबाजी शुरू कर दी और आज तक रिटायर्ड अधिकारी का वेतन निर्धारण नहीं कराया गया। पीए राठौर अब रुपए भी वापस नहीं कर रहे हैं। शिकायत में साहू ने बताया कि मैं रिश्वत के रूप में रुपए देना नहीं चाहता था, लेकिन अपना चाहा गया उल्लेखित काम कराने की मजबूरी में मैंने रुपए दे दिए। इस संबंध में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता से कई बार मुलाकात करने का प्रयास किया, लेकिन प्रवीण ने नहीं मिलने दिया।
कुलपति के पीए प्रवीण राठौर पर लगे इन आरोपों को हमने उनसे बात करने का प्रयास। राठौर को दो बार फोन लगाया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। इसके बाद उन्हें मैसेज कर पक्ष जानना चाहा, लेकिन उन्होंने मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया।
जानकारी मिली है कि शिकायतकर्ता का वेतन निर्धारण प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में इस तरह के आरोप समझ से परे हैं। तथ्य एवं प्रामाणिकता स्पष्ट होने पर ही ज्यादा जानकारी दी जा सकेगी। हालांकि प्रवीण राठौर द्वारा भी एक शिकायती आवेदन प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. विवेक जायसवाल, जनसंपर्क अधिकारी, विश्वविद्यालय