…इसलिए तेजी की उम्मीद
फंड मैनेजर्स को अब उम्मीद है कि क्रेडिट ग्रोथ में तेजी आएगी। मिरे एसेट के फंड मैनेजर गौरव कोचर का मानना है कि आने वाले 12-18 महीनों में कॉरपोरेट लोन की मांग बढ़ सकती है, क्योंकि कंपनियां अपने निवेश बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। पिछले तीन-चार सालों में क्रेडिट ग्रोथ मुख्य रूप से रिटेल लोन पर टिकी थी, लेकिन अब कॉरपोरेट लोन ग्रोथ भी इसमें योगदान देगा। 2024-25 की पहली छमाही में चुनावों के चलते कैपेक्स धीमा था, लेकिन दूसरी छमाही और वर्ष 2025-26 में इसमें बूम आ सकता है।बड़े बैंकों को ज्यादा फायदा
बड़े बैंकों की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के सीनियर फंड मैनेजर रोशन चटकी ने कहा, बड़े बैंक कम लागत पर फंड जुटा सकते हैं, जिससे वे हाई-क्वालिटी कस्टमर्स को अच्छे रेट पर लोन दे सकते हैं। उन्होंने कहा, आरबीआइ इस साल दो बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे कर्ज लेना सस्ता होगा। इससे क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा और बैंकिंग सेक्टर का मुनाफा बढ़ेगा। ब्याज दरों में कमी से उपभोक्ता मांग और औद्योगिक निवेश दोनों को फायदा मिलेगा, जिससे बड़े बैंको को फायदा होगा।निवेश का सही समय
टाटा एसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर अमेय साठे ने कहा, वैल्यूएशन के लिहाज से बैंकिंग सेक्टर इस समय बेहद आकर्षक स्थिति में है। निफ्टी बैंक इंडेक्स क निफ्टी 50 के मुकाबले डिस्काउंट लाइफटाइम हाई पर है। कई बड़े बैंक ऐसे रेट पर ट्रेड कर रहे हैं, जो कोरोना या 2008 की वैश्विक मंदी के समय भी नहीं थे। वहीं सैंक्टम वेल्थ के हेमांग कपासी ने कहा, कोविड से पहले बैंकिंग सेक्टर की प्राइस-टू-बुक वैल्यू 2.5 गुना थी, लेकिन अब यह 1.7 गुना पर आ गई है। यानी बैंकिंग सेक्टर में निवेश का ऐसा मौका पहले बहुत कम देखने को मिला है। यह भी पढ़ें