चित्तौड़गढ़ जिला छठे व प्रतापगढ़ 22वें नंबर पर रहा। राजधानी जयपुर 25वीं रैंक पर है।रैंकिंग में 13 बिंदू शामिल किए गए। इनमें विद्यालय को अवार्ड, नामांकन में बढ़ोत्तरी, नवाचार, पुस्तक वितरण, जनाधार प्रमाणीकरण, ज्ञान संकल्प पोर्टल से प्राप्त राशि पर आधारित अंक, पीटीएम में अभिभावकों की मौजूदगी, एसएमएसी व एसडीएमसी की बैठकों का औसत, आईसीटी लैब व स्मार्ट कक्षाकक्ष, खेल मैदान की उपयोगिता को लेकर शाला दर्पण में दिए अंक शामिल किए। इन्ही अंक के आधार पर शाला दर्पण की रैंकिंग रिपोर्ट तैयार हुई है।
वरिष्ठ शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता बसंत कुमार ज्याणी का कहना तो शाला दर्पण में रैंकिंग नए समेत कुल 50 जिलों के आधार पर निकाली जानी चाहिए। नवाचार को मिलता प्रोत्साहन राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेशाध्यक्ष नीरज शर्मा का मानना है कि स्टेट रैकिंग से स्कूलों में नवाचार के अवसर बढ़ते है। यदि कोई स्कूल लगातार पिछड़ रहा है तो उसे भी सीखने एवं समझने का अवसर मिलता है। गिरते नामांकन को भी कई स्कूलों ने मासिक रैंकिंग के आधार पर बढ़ाया है, इतना ही नहीं स्कूलों में अभिभावकों के साथ बैठकें भी नियमित होने लगी है। खेलों का भी विकास बढ़ा है।
भीलवाड़ा की बड़ी सफलता स्टेट रैंकिंग से विद्यालयों की गतिविधियों का स्तर पता चलता है। भीलवाड़ा की रैंक में सुधार हुआ है। मई में रैंकिंग 12वेंंनम्बर पर थी। इस बार पांचवीं आई है। यह सुधार सराहनीय है।
– योगेश कुमार पारीक, जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय, भीलवाड़ा रैंक जिला अंक 01 बाडमेर 57.27 02 श्रीगंगानगर 55.34 03 हनुमानगढ़ 53.66 04 कोटा 52.90 05 भीलवाड़ा 50.93