-मामले में पांच आरोपी गिरफ्तारसोनीपत (हरियाणा). सोनीपत में साइबर थाना पुलिस ने मैनेजर का मोबाइल हैक कर खाते से नकदी निकालने के मामले में पर्दाफाश करते हुए गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ व चंडीगढ़ के मनीमाजरा से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने नकदी, मोबाइल, […]
-मामले में पांच आरोपी गिरफ्तार
सोनीपत (हरियाणा). सोनीपत में साइबर थाना पुलिस ने मैनेजर का मोबाइल हैक कर खाते से नकदी निकालने के मामले में पर्दाफाश करते हुए गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ व चंडीगढ़ के मनीमाजरा से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने नकदी, मोबाइल, डेबिट कार्ड, चेक बुक व पासबुक बरामद की है। इस तरह देशभर में 2243 लोगों से 8.31 करोड़ रुपए ठगे जा चुके हैं।
वेस्ट रामनगर निवासी बलराज ने 1 नवंबर को साइबर थाना पुलिस को बताया था कि वह पंजाब नेशनल बैंक की सोहटी शाखा में मैनेजर हैं। उन्होंने साइबर थाना पुलिस को बताया कि 22 अक्तूबर को उन्होंने अपने मोबाइल में व्हाट्सएप डाउनलोड किया था। तभी किसी ने उनके मोबाइल को हैक कर लिया।
25 अक्तूबर को उनके मोबाइल पर रुपए कटने के मैसेज आने शुरू हो गए। उन्होंने मैसेज देखकर तुरंत अपने खाते को बंद करा दिया। उन्होंने देखा कि उनके खाते से 9,80,500 रुपए कट चुके थे। जानकारी मिली कि फर्जी वेबसाइट से उनके खाते से फर्जी कागजात पर खोले गए बैंक खातों में रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया था।
साइबर थाना प्रभारी बसंत कुमार व उनकी टीम में शामिल एएसआई नरेंद्र, संजय, प्रदीप, विकास व दिनेश की टीम ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें यूपी के जिला आजमगढ़ के गांव फूलपुर निवासी शैलेश, आंबेडकर नगर के गांव असनारा निवासी भीम, गांव शहाबुद्दीनपुर निवासी चंचल, अहिरोली रानी मऊ निवासी विशाल व गांव नुरूद्दीनपुर निवासी गोविंद को गिरफ्तार किया है।
8 मोबाइल, 30 डेबिट कार्ड, 20 चेक बुक बरामद
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों से 24 हजार रुपए, 8 मोबाइल, 30 डेबिट कार्ड, 20 चेक बुक व 20 पासबुक बरामद की हैं। इस तरह की ठगी की देशभर में 2243 शिकायतें हैं। इनमें 94 मुकदमे दर्ज हैं और 8.31 करोड़ रुपए ठगे जा चुके हैं।
आरोपियों ने फर्जी पते पर खुलवा रखे थे बैंक खाते
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने फर्जी पते पर बैंक खाते खुलवा रखे थे। आगे यह अपने खाते अन्य लोगों को देते थे, जिनमें ठगी की राशि डाली जाती थी। इस तरह इन्हें इनका हिस्सा दिया जाता था।
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