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130 नहीं 100 से नीचे हो बैड कोलेस्ट्रॉल, दिल के मरीजों के लिए 55 से नीचे

भोपाल. अब 130 नहीं बल्कि सौ से कम बेड कॉलेस्ट्रॉल वाले ही स्वस्थ माने जाएंगे। पहली बार भारतीयों के लिए नए रिस्क फैक्टर तय किए गए हैं। अब तक एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल की जांच वेस्टर्न देशों के मापदंड के तहत होती थी। जिसे खारिज करते हुए कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया ने नई गाइडलाइन तय की है।

भोपालJul 06, 2024 / 01:06 am

Mahendra Pratap

अब 130 नहीं बल्कि सौ से कम बेड कॉलेस्ट्रॉल वाले ही स्वस्थ माने जाएंगे। पहली बार भारतीयों के लिए नए रिस्क फैक्टर तय किए गए हैं। अब तक एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल की जांच वेस्टर्न देशों के मापदंड के तहत होती थी। जिसे खारिज करते हुए कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया ने नई गाइडलाइन तय […]

भोपाल. अब 130 नहीं बल्कि सौ से कम बेड कॉलेस्ट्रॉल वाले ही स्वस्थ माने जाएंगे। पहली बार भारतीयों के लिए नए रिस्क फैक्टर तय किए गए हैं। अब तक एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल की जांच वेस्टर्न देशों के मापदंड के तहत होती थी। जिसे खारिज करते हुए कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया ने नई गाइडलाइन तय की है।
यह हैं नए पैमाने
  • स्वस्थ व्यक्ति में कोलेस्ट्रॉल का लेवल सौ से नीचे होना चाहिए। यह अब तक 130 था।
  • जिन्हें कार्डियक डिजीज, मधुमेह, उच्च रक्तचाप की समस्या है, उन्हें 70 नीचे कोलेस्ट्रॉल का लेवल रखना होगा।
  • दिल के मरीजों को कोलेस्ट्रॉल का लेवल 55 से नीचे रखना होगा।
  • अब लिपिड प्रोफाइल जांच बिना खाली पेट होगी। पहले यह खाली पेट होती थी।
    एम्स तय कर रहा जांच के नए लेवल
    डायबिटीज, लिपिड प्रोफाइल, कोलेस्ट्रॉल, बीपी और थायराइड समेत अन्य बीमारियों के लिए नए लेवल तय किए जा रहे हैं। आइसीएमआर के रेफरेंस इंटरवेल प्रोजेक्ट के तहत एम्स भोपाल समेत देश के 14 सेंटर भारतीयों के यह नया बेंचमार्क तय कर रहा है। अभी यूएसए और यूरोपीयन रेफरेंस रेंज (रोगों के पैमाने) के हिसाब से देखा जाता है।
    क्यों जरूरी है नया मानक
    विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के मूल निवासियों के खान पान से लेकर वातावरण और शारीरिक बनावट अलग है। ऐसे में जरूरी नहीं कि जो अमेरिकी व्यक्ति के लिए तय पैमाने से ज्यादा है वो हिंदुस्तानी के लिए भी हो।
बीमारियों के रोकथाम में होगी मदद
एम्स भोपाल के जैव रसायन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. सुखेश मुखर्जी ने बताया कि अलग अलग रोगों के लिए नई रेंज के तहत रोगियों की सही पहचान होगी। जिससे सही इलाज मिलेगा। लोग बेवजह दवा खाने से बचेंगे। जिससे उनके शरीर में टॉक्सिसिटी नहीं बढ़ेगी। इन नए पैरामीटर्स के आधार पर बीमारियों के रोकथाम में मदद होगी।
क्यों जरूरी थी नई गाइडलाइन
एक भारतवासी और एक अमेरिकी में कोलेस्ट्रॉल का लेवल एक जैसा है तो भी दिल की बीमारी का ज्यादा खतरा भारतवासी में होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कोलेस्ट्रॉल का सब पार्ट माइक्रो एलडीएल की मात्रा भारतीयों में ज्यादा होती है। यह दिल की बीमारियों के लिए ज्यादा घातक है। जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल लेवल कम बढ़ा हुआ होता है। उन्हें डाइट से इसे कंट्रोल करना जरूरी है। एक बार बढ़ गया जो समस्याएं बढ़ेगी।
-डॉ. किसलय श्रीवस्तव, कार्डियोलॉजिस्ट, भोपाल

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