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निरीक्षण में पुलिस का साथ लेने पर नाराजगी, हनुमानगढ़ में दवा के बढ़ते नशे से साख पर सवाल

लाइसेंसशुदा मेडिकल स्टोर की नियमित जांच व निरीक्षण वास्ते तहसील स्तर पर विशेष टीम गठित, टीम में पुलिस को शामिल करने पर आपत्ति, दवा विक्रेताओं का कहना, कार्रवाई को औषधि नियंत्रक ही सक्षम

हनुमानगढ़Aug 03, 2024 / 12:54 pm

adrish khan

Dissatisfaction over taking police support in inspection, question on credibility due to increasing drug addiction in Hanumangarh

हनुमानगढ़. मेडिकेटेड नशा ना केवल आमजन, पुलिस प्रशासन व कानून व्यवस्था बल्कि दवा विक्रेताओं के लिए भी संकट बन चुका है। नशे में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की बढ़ती तस्करी और इन मामलों में कभी-कभार लाइसेंसधारी दवा विक्रेताओं की संलिप्तता सामने आने का नुकसान अब जिले के तमाम दवा विक्रेताओं को भी झेलना पड़ रहा है। भले ही नशीली दवा की तस्करी में बहुत कम दवा विक्रेता संलिप्त पाए जाते रहे हो। मगर अंतत: इससे उनकी साख खराब हुई है।
यही वजह है कि जिला कलक्टर कानाराम के आदेश पर जिले की सभी तहसीलों में कमेटी गठित कर मेडिकल स्टोर के निरीक्षण का आदेश दिया गया है। इन कमेटी में औषधि नियंत्रण विभाग के औषधि नियंत्रकों के अतिरिक्त पुलिस तथा अन्य विभागों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है। इसी बात पर जिले की केमिस्ट एसोसिएशन से लेकर सभी दवा विक्रेताओं को आपत्ति है। उनका कहना है कि वे लाइसेंस लेकर काम करते हैं। यदि नियमों का उल्लंघन करते हैं तो लाइसेंस निरस्त एवं निलम्बन की कार्यवाही करने में औषधि नियंत्रक सक्षम है। सामान्य निरीक्षण के दौरान भी यदि पुलिस को साथ लाया जाता है तो इससे दवा विक्रेता की बाजार में साख खराब होती है। वहीं औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुलिस को साथ लेकर दवा की दुकानों का नियमित निरीक्षण नहीं किया जा रहा। विशेष टीम तो शिकायत के आधार पर तथा विशेष स्थिति में ही निरीक्षण व कार्रवाई करेगी।

कार्रवाई को तो विभाग ही सक्षम

जिला केमिस्ट एसोसिएशन संयोजक खजानचंद शिवनानी का कहना है कि दवा की दुकानों के नियमित निरीक्षण में पुलिस को शामिल करना न्यायसंगत निर्णय नहीं है। हम सरकार से लाइसेंस लेकर व्यवसाय करते हैं जिनका औषधि नियंत्रक नियमित निरीक्षण करते हैं। यदि कोई गड़बड़ी करता है तो लाइसेंस निरस्त व निलम्बन की कार्रवाई विभाग करता है। निरीक्षण दल में पुलिस जाप्ता शामिल करने से दवा संस्थान की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ता है।

प्रदेश में सिर्फ दो जगह अतिरिक्त सख्ती

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एवं बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नाबालिगों को नशे से बचाने के लिए 272 जिलों के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की थी। इसके तहत करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश में हनुमानगढ़ व झालावाड़ जिले के मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगाने 133 सीआरपीसी के तहत अनिवार्य किए गए थे। इसके बाद सीसीटीवी कैमरों की निगरानी और हजारों रुपए के खर्च के झंझट से छुटकारा पाने के लिए जिले के 1133 दवा विक्रेताओं ने एच शैड्यूल की 10-12 प्रतिबंधित दवाइयों की बिक्री संबंधी अनुमति सरेंडर कर दी है। जबकि 633 मेडिकल स्टोर संचालकों ने सीसीटीवी कैमरे लगवा कर प्रतिबंधित श्रेणी की दवाइयों की विक्रय अनुमति बरकरार रखी थी।

इसलिए अलग से मापदंड

जिले में मेडिकेटेड नशे की खपत चिंताजनक स्तर तक पहुंच चुकी है। पिछले पांच साल में पुलिस ही तस्करों के कब्जे से 20 लाख से अधिक नशीली टेबलेट, कैप्सूल आदि बरामद कर चुकी है। हालांकि इनमें लाइसेंसधारी दवा विक्रेताओं की संलिप्तता बहुत ही कम सामने आई है। मगर दवा के नशे के रूप में बढ़ते इस्तेमाल के कारण हनुमानगढ़ में दवा विक्रय को लेकर प्रदेश से अलग नियम लागू होते रहे हैं। कुछ बरस पहले तक जहां पीएचसी आदि नहीं है, वहां मेडिकल स्टोर का लाइसेंस देने पर प्रतिबंध था। बाद में सशर्त छूट दी। अब यह पाबंदी पूर्णत: हटा दी गई है। हालांकि जहां पीएचसी या प्राइवेट अस्पताल नहीं है, उन गांवों के मेडिकल स्टोर संचालक को प्रतिबंधित श्रेणी की दवा विक्रय की अनुमति नहीं दी जाती। यह व्यवस्था भी राज्य में केवल हनुमानगढ़ में ही लागू है।

अलग-अलग तरह के निरीक्षण

जिला कलक्टर के आदेश पर प्रत्येक उपखंड पर विशेष निरीक्षण दल गठित किए गए हैं। यह दल लाइसेंसधारी के अलावा बिना लाइसेंस दवा विक्रय करने वालों की भी जांच करेगा। उपखंड प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा विभाग या हमारे विभाग के पास जो शिकायत आएगी, उनके आधार पर भी विशेष टीम कार्रवाई करेगी। दवा की दुकानों का जो नियमित निरीक्षण औषधि नियंत्रण अधिकारी करते हैं, उससे विशेष टीम को अलग रखा गया है। – अशोक मित्तल, सहायक औषधि नियंत्रक, हनुमानगढ़।

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