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जंगल के रोमांच के साथ पर्यटक जान सकेंगे रोचक किस्से और कहानियां

कान्हा की तर्ज पर सोनेवानी के जिप्सी चालक और गाइड को किया जाएगा प्रशिक्षित
दक्षिण वन मंडल बालाघाट में आता है वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र सोनेवानी

बालाघाटNov 03, 2024 / 12:20 pm

mukesh yadav

कान्हा की तर्ज पर सोनेवानी के जिप्सी चालक और गाइड को किया जाएगा प्रशिक्षित

बालाघाट। लालबर्रा क्षेत्र के वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र सोनेवानी के जिप्सी चालक और गाइड को शीघ्र ही प्रशिक्षित किया जाएगा। कान्हा नेशनल पार्क की तर्ज पर इन कर्मचारियों को भी ड्रेस सहित अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएगी। इन्हें पर्यटन के लिहाज से भी दक्ष किए जाने की योजना है। ताकि इन गाइड की मदद से देशी-विदेशी पर्यटकों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित पर्यटन का मजा मिल सकें। वन विभाग इसके लिए कार्य योजना तैयार करने जा रहा है। जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद (डीएटीसीसी) की बैठक में बकायदा इस मसले पर चर्चाएं भी हो चुकी हंै। बैठक में शामिल हुईं एसडीओ विनीता फुलबेले ने इस नवाचार को मूर्त रूप देते हुए शीघ्र ही इसे अमल में लाने की बात कही है। सब कुछ सही रहा तो सोनेवानी के जिप्सी चालक और गाइड भी कान्हा पार्क की तर्ज पर देशी विदेशी पर्यटकों को शानदार पर्यटन करवाते नजर आएंगे।
जानकारी के अनुसार दक्षिण वन मंडल बालाघाट के वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र सोनेवानी लालबर्रा में वर्ष भर में नौ माह तक सफारी होती है। 18 जिप्सियां सफारी के लिए चयनित है। रोजाना करीब 30 से 35 पर्यटक सफारी करने पहुंचा करते हैं। ये क्षेत्र कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के कारीडोर और सिवनी पेंच से जुड़ा होने से सरकारी रिकार्ड के अनुसार यहां 49 बाघ सहित शावकों की मौजूदगी बनी हुई है। इसके अलावा तेंदुए, भालू, बायसन, हिरण, मोर समेत अन्य वन्य प्राणियों की अच्छी संख्या यहां देखने को मिलती है। देशी विदेशी पर्यटक कान्हा के साथ सोनेवानी में सफारी करने पहुंचते हैं। यही वजह है कि वन विभाग 20 गाइडों को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के प्रशिक्षकों के माध्यम से प्रशिक्षण दिलवाने की तैयारी कर रहा है। बता दें कि सोनेवानी का जंगल 18 हजार हेक्टेयर में विस्तृत रूप से फैला हुआ है। पर्यटक यहां के तीन गेट से सफारी करने पहुंचते है,ं जंगल की कैमरों के जरिए निगरानी की जा रही है।
160 साल पहले आया अस्तित्व में
विभागीय जानकारी के अनुसार सोनेवानी 1864 यानी 160 वर्ष पहले अस्तित्व में आया था। वर्ष 2015-16 में बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की संख्या बढऩे से राज्य सरकार ने वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र घोषित किया है। चार वर्ष से इसे अभयारण्य बनाने की मांग उठ रही है, लेकिन इस प्रस्ताव में राजनीतिक दखल ने सारे प्रयास ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं। वन्य जीव प्रेमियों का कहना है कि सोनेवानी को अभयारण्य बनाने से बाघों के संरक्षण में मदद मिलेगी। जिले में पर्यटन भी बढ़ेगा।
वर्सन
डीएटीसीसी की बैठक में सोनेवानी के गाइड व जिप्सी चालक के ड्रेस कोड संबंधी चर्चा की गई है। जिसे लागू करवाने का प्रयास रहेगा। प्रशिक्षित चालक व गाइड रहने का फायदा वहां पहुंचने वाले को मिलेगा।
अधर गुप्ता, डीएफओ

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