टीकमगढ़. मौसम के परिर्वतन का असर अब फसलों पर भी दिखाई देने लगा है। मौसम में लगातार चल रहे बदलाव के बाद अब किसान पारंपरिक फसलों को छोड़ नई फसल की ओर आकर्षित हो रहे है। इसके साथ ही फसलों का यह बदलाव किसानों को रास आ रहा है और उत्पादक बड़ रही है। ऐसे में पिछले पांच सालों में निवाड़ी जिले में खरीफ सीजन में मूंग, उड़द और सोयाबीन के रकवा में लगातार कमी देखी जा रही है।
मूंगफली निवाड़ी जिले की पहचान बनता जा रहा है। पिछले पांच सालों में यहां पर मूंगफली के रकवा में तेजी से वृद्धि देखी गई है। मूंगलफली की ओर किसानों के बढ़ते रुझान को देखते हुए कृषि विभाग ने इस बार खरीफ फसल की बोवनी में यहां पर 200 हैक्टेयर में मूंगफली का बोवनी का अनुमान लगाते हुए लक्ष्य निर्धारित किया है। विदित हो कि मूंगफली निवाड़ी में अब खरीफ की प्रमुख फसल बन गई है, जबकि यहां पर उड़द, मूंग और सोयाबीन के साथ ही अन्य फसलों के रकवा में कमी होती जा रही है।
मूंगफली निवाड़ी जिले की पहचान बनता जा रहा है। पिछले पांच सालों में यहां पर मूंगफली के रकवा में तेजी से वृद्धि देखी गई है। मूंगलफली की ओर किसानों के बढ़ते रुझान को देखते हुए कृषि विभाग ने इस बार खरीफ फसल की बोवनी में यहां पर 200 हैक्टेयर में मूंगफली का बोवनी का अनुमान लगाते हुए लक्ष्य निर्धारित किया है। विदित हो कि मूंगफली निवाड़ी में अब खरीफ की प्रमुख फसल बन गई है, जबकि यहां पर उड़द, मूंग और सोयाबीन के साथ ही अन्य फसलों के रकवा में कमी होती जा रही है।
यह है पिछले पांच साल का रिकार्ड
पिछले पांच सालों में निवाड़ी जिले के किसानों ने मूंगफली को बोवनी को खासा बढ़ावा दिया है। वर्ष 2020 में जहां किसानों ने 36.30 हैक्टेयर में मूंगफली को बोवनी की थी तो 2021 में इसका रकवा बड़ कर 39.97 हैक्टेयर, 2022 में 45.09 हैक्टेयर और 2023 में यह 5६.२० हैक्टेयर हो गया था। वहीं इस बार विभाग ने इसे 200 हैक्टेयर तक जाने का अनुमान लगाया है। वहीं खरीफ में बोई जाने वाली उड़द और मूंग के रकवा पर नजर डाले तो किसान इसे कम करते जा रहे है। वर्ष 2021 में निवाड़ी जिले में उड़द का रकवा २८.०८ तो 202२ में 2४.0१ तो 202३ में 2६.०0 हैक्टेयर था। इसके साथ ही इस बार विभाग ने इसे लक्ष्य में शामिल नहीं किया है। वहीं अन्य फसलों के मुकाबले मूंगफली की प्रति हैक्टेयर पैदावार भी अच्छी बताई जा रही है।
पिछले पांच सालों में निवाड़ी जिले के किसानों ने मूंगफली को बोवनी को खासा बढ़ावा दिया है। वर्ष 2020 में जहां किसानों ने 36.30 हैक्टेयर में मूंगफली को बोवनी की थी तो 2021 में इसका रकवा बड़ कर 39.97 हैक्टेयर, 2022 में 45.09 हैक्टेयर और 2023 में यह 5६.२० हैक्टेयर हो गया था। वहीं इस बार विभाग ने इसे 200 हैक्टेयर तक जाने का अनुमान लगाया है। वहीं खरीफ में बोई जाने वाली उड़द और मूंग के रकवा पर नजर डाले तो किसान इसे कम करते जा रहे है। वर्ष 2021 में निवाड़ी जिले में उड़द का रकवा २८.०८ तो 202२ में 2४.0१ तो 202३ में 2६.०0 हैक्टेयर था। इसके साथ ही इस बार विभाग ने इसे लक्ष्य में शामिल नहीं किया है। वहीं अन्य फसलों के मुकाबले मूंगफली की प्रति हैक्टेयर पैदावार भी अच्छी बताई जा रही है।
मौसम के बादलाव का असर
निवाड़ी में बदल रहे खरीफ फसल के ट्रेंड को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. योग रंजन का कहना है कि मौसम के बादल के बाद किसानों ने अपनी फसल को बदल दिया है। उनका कहना है कि बारिश की अनियमितता और मौसम में बदलाव के बाद पारंपरिक तरीके से उगाई जाने वाले मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसलों में कीट व्याधी की परेशानी बढ़ने लगी थी, जबकि मूंगफली के साथ यह परेशानी है। मूंगफली जमीन के अंदर होती है। ऐसे में कम अधिक बारिश से भी इस पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता नहीं है। वहीं यहां की जमीन हल्की होने के कारण मूंगफली के उपयुक्त है। ऐसे में किसानों को इसकी अच्छी उपज मिल रही है।
निवाड़ी में बदल रहे खरीफ फसल के ट्रेंड को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. योग रंजन का कहना है कि मौसम के बादल के बाद किसानों ने अपनी फसल को बदल दिया है। उनका कहना है कि बारिश की अनियमितता और मौसम में बदलाव के बाद पारंपरिक तरीके से उगाई जाने वाले मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसलों में कीट व्याधी की परेशानी बढ़ने लगी थी, जबकि मूंगफली के साथ यह परेशानी है। मूंगफली जमीन के अंदर होती है। ऐसे में कम अधिक बारिश से भी इस पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता नहीं है। वहीं यहां की जमीन हल्की होने के कारण मूंगफली के उपयुक्त है। ऐसे में किसानों को इसकी अच्छी उपज मिल रही है।
निवाड़ी जिले में पिछले तीन सालों में खरीफ फसल का रकवा
फसल 2021 2022 2023
उड़द 28.98 24.01 26.00
मूंग 0.96 1.38 1.40
सोयाबीन 0.13 0.37 0.44
मूंगफली 39.97 42.30 46.20
फसल 2021 2022 2023
उड़द 28.98 24.01 26.00
मूंग 0.96 1.38 1.40
सोयाबीन 0.13 0.37 0.44
मूंगफली 39.97 42.30 46.20