उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने पिछले तीन माह पहले अगस्त में ही पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह को छिंदवाड़ा का प्रभारी मंत्री नियुक्त किया था। तब से ही पहले पैर फ्रैक्चर होने के कारण छिंदवाड़ा नहीं आ पाए। अब ठीक होने पर उनकी तस्वीर दिखाई दे रही है, तब भी उन्हें छिंदवाड़ा आने का समय नहीं मिल पा रहा है। प्रभारी मंत्री के न आने के नुकसान छिंदवाड़ा को झेलने पड़ रहे हैं। इससे जिले के पुराने प्रोजेक्ट की समीक्षा रुकी पड़ी है। जिला योजना समिति की बैठक भी नहीं हो पाई है। इससे विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधि भी ज्वलंत मुद्दों को नहीं उठा पा रहे हैं। इससे कोई समाधान भी नहीं निकल पा रहा है।
इधर, प्रदेश सरकार ने एकमात्र प्रोजेक्ट मेडिकल कॉलेज सिम्स को सौ करोड़ रुपए का बजट दिया है। इस पर प्रभारी मंत्री के दिशा-निर्देशों का इंतजार हैं। शेष विश्वविद्यालय, जेल कॉम्प्लैक्स, कृषि महाविद्यालय, सिंचाई कॉम्प्लैक्स जैसे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में हैं। दुर्भाग्य है कि प्रभारी मंत्री राकेश सिंह भोपाल-जबलपुर से ही कामकाज देख रहे हैं। पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंस से ही छिंदवाड़ा जिले की कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की थी। तब के बाद उनकी कोई खबर छिंदवाड़ा को लेकर नहीं आई है।
मैदानी स्तर पर आम जनता भी राकेश सिंह की तेजतर्रार छवि और कामकाज में तीखी प्रशासनिक शैली देखने की इच्छुक थी, लेकिन ये शायद ही यहां दिख पाएगी। उनके नेतृत्व का लाभ छिंदवाड़ा के लंबित प्रोजेक्ट को मिल पाएगा या नहीं, ये भी देखना होगा। फिलहाल प्रभारी मंत्री के न आने से सरकारी महकमा उदासीन है। आम जनता और भाजपा कार्यकर्ता हताश व निराश है।