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मानसून की दस्तक से पहले प्रशासन अलर्ट, बाढ़ से निपटने के लिए एसडीईआरएफ की टीम रहेगी तैनात

जिले में होमगार्ड जवानों को किया प्रशिक्षित पन्ना. जिले में मानसून की दस्तक के पहले प्रशासन अलर्ट मोड पर है। जिलेभर में बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर लिया गया है। आधा दर्जन से अधिक नदियों के किनारे बसे गांवों में प्रशासन का फोकस रहेगा। किसी भी हालात ने निपटने के लिए प्रशिक्षित […]

पन्नाJun 23, 2024 / 07:27 pm

Anil singh kushwah

बाढ़ से निपटने के लिए एसडीईआरएफ की टीम रहेगी तैनात

बाढ़ से निपटने के लिए एसडीईआरएफ की टीम रहेगी तैनात

जिले में होमगार्ड जवानों को किया प्रशिक्षित

पन्ना. जिले में मानसून की दस्तक के पहले प्रशासन अलर्ट मोड पर है। जिलेभर में बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर लिया गया है। आधा दर्जन से अधिक नदियों के किनारे बसे गांवों में प्रशासन का फोकस रहेगा। किसी भी हालात ने निपटने के लिए प्रशिक्षित होमगार्ड और एसडीईआरएफ के जवानों की टीमें तैनात कर दी गई हैं। बाढ़ आपदा से निपटने के लिए एसडीईआरएफ 15 जवानों की प्रशिक्षित टीम जिले में तैनात है। इसके अलावा दो क्यूआरटी टीम बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम में 6-6 प्रशिक्षित सदस्यों को तैनात किया गया है। दोनों टीम फिलहाल जिला मुख्यालय में तैनात हैं।
एसडीईआरएफ की टीम 24 घंटे तैयार
एसडीईआरएफ 15 जवानों की टीम को रिजर्व में रखा गया है, यह टीम फिलहाल जिला मुख्यालय पर तैनात है। एसडीईआरएफ 15 जवानों की टीम 24 घंटे तत्पर रहती है, जो कि वाहन समेत सामग्री-उपकरण से लैस है। आपदा की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू कर देती है। गौरतलब है कि जिले मैं होमगार्ड के 325 पद स्वीकृत हैं। लेकिन केवल 166 जवान ही पदस्थ हैं। 159 पद खाली पड़े हुए हैं। ऐसे में बाढ़ के हालात से निपटने के काम के लिए कम जवान उपलब्ध हो सके हैं। प्रशासन ने जिला मुख्यालय पर उडऩदस्ता टीम के साथ चार डीआरसी केंद्रों की स्थापना की है।बाढ़ प्रभावित गांवों का चिह्नांकन, एसडीईआरएफ 15 प्रशिक्षित जवानों की टीम, होमगार्ड के 30 प्रशिक्षित जवानों की टीम, 18 सदस्यीय तीन क्यूआरटी टीम, गांव-गांव गोताखोरों की टीम, 148 प्रकार के उपकरण-सामग्री की उपलब्धता है।
इन नदियों के पास बसे गांवों में बाढ़ का खतरा
केन, व्यारमा, सोनार मिढ़ासन, गलको, पतने नदी में बारिश के दौरान बाढ़ की आशंका रहती है। इन नदियों को जलस्तर बढऩे से आसपास बसे 150 से 200 गांव के प्रभावित होने का डर बना रहता है। हालांकि वर्ष 2016 के बाद से ऐसी कोई स्थिति सामने नहीं आई है।
30 जवानों को किया प्रशिक्षित
बाढ़ जैसी अन्य आपदाओं से निपटने के लिए होमगार्ड के 30 जवानों को भी तैयार किया गया है। होमगार्ड जवानों की यह टीम भी चौबीस घंटे किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहती है। यह टीम भी अत्याधुनिक उपकरणों और सामग्री से लैस है।
जिले मेें बाढ़ के प्रमुख कारण
जिले में बाढ़ आने का मुख्य कारण कटनी, दमोह जिलों में अत्यधिक वर्षा और जल ग्रहण क्षेत्रों में पानी भर से केन, व्यारमा, सोनार मिढ़ासन, गलको, पतने नदी को जल स्तर बढ़ जाता है। इससे बाढ़ की स्थिति निर्मित हो जाती है। ये नदियां पहाड़ी और दूरस्थ अंचलों से आती हैं। केन नदी का जल स्तर बढऩे पर पतने नदी के संगम स्थल ग्राम चौमुखा, सुनार व्यारमा के संगम स्थल ग्राम साटा बुद्धङ्क्षसह पटना कला, झिरांटा में बाढ़ के हालात बन जाते हैं।
2005 और 16 में 194 गांव बाढ़ से हुए थे प्रभावित
वर्ष 2005 और वर्ष 2016 में आई बाढ़ से जिलेभर के 194 गांव प्रभावित हुए थे। इनमें सबसे ज्यादा अमानगंज क्षेत्र के 56 गांव शामिल थे। इसके बाद पवई के 45, रैपुरा के 22, अजयगढ़ के 19, सिमरिया के 17 गुनौर के 14, शाहनगर के 8, पन्ना के 8 और देवेंद्रनगर के 5 गांव बाढ़ प्रभावित हुए थे।

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