scriptस्वच्छता : शहर में निजी कंपनी घर-घर उठाएगी कचरा, कलेक्शन की व्यवस्था ठेके पर देने की तैयारी, निगम को हर साल बचेंगे डेढ़ करोड़ से दो करोड़ रुपए | A private company will collect garbage from every house in the city, preparations are on to give the collection system on contract, the corporation will save Rs 1.5 crore to Rs 2 crore every year | Patrika News
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स्वच्छता : शहर में निजी कंपनी घर-घर उठाएगी कचरा, कलेक्शन की व्यवस्था ठेके पर देने की तैयारी, निगम को हर साल बचेंगे डेढ़ करोड़ से दो करोड़ रुपए

आर्थिक संकट से जूझ रही शहर सरकार अब एक अप्रैल से वार्ड में कचरा कलेक्शन की व्यवस्था ठेके पर देने देगी। इस व्यवस्था से निगम के खजाने को हर साल एक से डेढ़ करोड़ रुपए की बचत हो सकेगी। सबकुछ योजना के तहत हुआ तो एक अप्रैल से वार्ड में कचरा कलेक्शन के लिए ठेका कंपनी के कर्मचारी जाएंगे। नगर निगम पचास वार्ड में कचरा कलेक्शन के लिए तीन करोड़ रुपए की निविदा निकालने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। अधिकारी ठेका शर्त पर मंचन कर रहे हैं। निविदा की फाइल भी तैयार हो गई है।

खंडवाJan 28, 2025 / 11:31 am

Rajesh Patel

Cleanliness

खंडवा नगर निगम जोन क्रमांक एक परिसर में खड़े कचरा कलेक्शन वाहन

नगर निगम वार्ड से कचरा उठाने पर खर्च कर रहा पौने पांच करोड़, तीन करोड़ की निविदा का तैयार किया ब्लू प्रिंट किया है। आर्थिक संकट से जूझ रही शहर सरकार अब एक अप्रैल से वार्ड में कचरा कलेक्शन की व्यवस्था ठेके पर देने देगी। इस व्यवस्था से निगम के खजाने को हर साल एक से डेढ़ करोड़ रुपए की बचत हो सकेगी। सबकुछ योजना के तहत हुआ तो एक अप्रैल से वार्ड में कचरा कलेक्शन के लिए ठेका कंपनी के कर्मचारी जाएंगे। नगर निगम पचास वार्ड में कचरा कलेक्शन के लिए तीन करोड़ रुपए की निविदा निकालने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। अधिकारी ठेका शर्त पर मंचन कर रहे हैं। निविदा की फाइल भी तैयार हो गई है।
शहर में 50 वाहन कचरा का कर रहे कलेक्शन

शहर के 50 वार्ड में कचरा कलेक्शन के लिए निगम ने 50 वाहन लगाए हैं। इन वाहनों पर 100 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक वार्ड से कचरा कलेक्शन कर ट्रेचिंग ग्राउंड तक परिवहन और इसकी मॉनीटरिंग पर निगम को हर साल साढ़े चार से पौने पांच करोड़ रुपए खर्च हो रहा है। इसमें वाहनों के डीजल पर हर माह 4 लाख यानी 50 लाख रुपए हर साल खर्च होता है। कचरा वाहनों के 50 चालकों पर 83 से 85 लाख रुपए और उनके 50 सहायकों पर 72 से 75 लाख रुपए वेतन पर व्यय हो रहा है।
मॉनीटरिंग पर हर साल 15 लाख रुपए हो रहा खर्च

नगर निगम वाहनों के जीपीएस पर 15 लाख रुपए ठेके पर खर्च हो रहा है। इसके अलावा वाहनों के रिपेयर और रख-रखाव के साथ ही अन्य टूल्स पर खर्च हो रहा है। कुल मिलाकर करीब पौने पांच करोड़ रुपए निगम के खजाने से खर्च हो रहा है। निगम ने ठेका के लिए तीन करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की है। निविदा निकालने के बाद मार्च में टेंडर खुलेगा। और एक अप्रैल से नई व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है।
कचरा बिखरा मिलने पर प्रति किलो एक रुपए पेनाल्टी

कचरा कलेक्शन का ठेका निगम शर्तों पर देगा। प्रत्येक वार्ड में सफाई कर्मचारी सफाई करने के साथ कचरा एकत्रित करेंगे। ठेका कंपनी कचरा का उठाव करेगी। सफाई कर्मचारियों के निरीक्षण में यदि कहीं से भी कचरे का कलेक्शन नहीं किया गया। कर्मचारी प्रति किलो की दर से एक रुपए की पेनाल्टी का प्रतिवेदन नगर निगम को देगा। निगम कंपनी पर पेनाल्टी करेगी। इसके अलावा निगम को वाहनों की सर्विसिंग, वाहनों में लगे कर्मचारियों समेत अन्य व्यय की जिम्मेदारी ठेका लेने वाले की होगी। वार्ड से कचरे का कलेक्शन कर ट्रेनिंग ग्राउंड तक पहुंचाना होगा। इसके बाद निगम स्वयं व्यवस्था देखेगा।
निगम आयुक्त ने ट्रेनिंग ग्राउंड का किया निरीक्षण

निगम आयुक्त ने सोमवार को ट्रेचिंग ग्राउंड का निरीक्षण कर व्यवस्था देखी। इस दौरान आयुक्त ने 25 जनवरी तक ठेका कंपनी को दिए गए लक्ष्य की पूर्ति को देखा। आयुक्त ने कचरे को ट्रेचिंग ग्राउंड से बाहर शिफ्ट करने की अनुमति नहीं दी। कहा कि ग्राउंड से ही कचरे का बाहर ले सकते हैं। इसके अलावा शहर में अन्य जगह पर शिफ्ट करने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके लिए वाहन बढ़ाएं। इस दौरान ठेका कंपनी के कर्मचारी ने भुगतान के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। निर्धारित लक्ष्य के बाद 50 टन से अधिक कचरे का निस्तारण का दावा किया है। कार्य को प्रगति पर देखने के बाद आयुक्त ने 15 फरवरी तक नया लक्ष्य दिया है।
वर्जन…प्रियंका सिंह राजावत, आयुक्त, नगर निगम

शहर में सफाई व्यवस्था बेहतर करने के लिए एक अप्रैल से नई व्यवस्था बनाई जा रही हैै। निगम के सभी सफाई कर्मचारी यथावत रहेंगे। वाहनों की देखरेख, कचरा कलेक्शन कर ट्रेचिंग ग्राउंड तक परिवहन की व्यवस्था को ठेका पर देने के लिए निविदा निकाली जा रही है। इसमें जीपीएस से मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी शामिल है। यह व्यवस्था एक अप्रैल से लागू होगी।

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