समाचार

क्रोएशिया की महिला वैज्ञानिक ने अपनी ही लैब में तैयार वायरस से ठीक किया खुद का ब्रेस्ट कैंसर

इस प्रयोग के बाद बीमारी फैलाने वाले वायरस से ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम की दिशा में नई उम्मीद जगी है।

नई दिल्लीNov 12, 2024 / 12:57 am

pushpesh

जाग्रेब . हौसलों में ताकत और खुद पर भरोसा हो तो कैंसर जैसी बीमारी भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। क्रोएशिया की 49 वर्षीय बीटा हैलासी भी ऐसी ही बहादुर वायरलॉजिस्ट (विषाणु वैज्ञानिक) हैं, जिन्होंने अपनी ही लैब में विकसित वायरस का इंजेक्शन लगाकर खुद का कैंसर ठीक कर लिया। पिछले चार वर्ष से वह कैंसरमुक्त हैं। इस प्रयोग के बाद बीमारी फैलाने वाले वायरस से ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम की दिशा में नई उम्मीद जगी है। खुद पर वायरस का सीधा प्रयोग कर के हैलासी उन वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हो गई है, जिन्होंने इस तरह के जोखिम भरे प्रयोग किए हैं। हालांकि तीसरे चरण के स्तन कैंसर के बावजूद खुद पर उनके इस जोखिमभरे परीक्षण ने नैतिकता पर बहस भी छेड़ दी है।
तय किया खुद ही करेंगी इलाज
क्रोएशिया में जाग्रेब यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट हैलासी को ब्रेस्ट कैंसर होने पर बायां स्तन हटा दिया गया था, लेकिन 2020 में फिर उसी जगह कैंसर हो गया। इस बार हैलासी ने तय किया कि वह कीमोथैरेपी से इलाज नहीं करवाएंगी और अध्ययन कर खुद अपना इलाज करेंगी। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हैलासी ने अपने स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर का उपचार ऑन्कोलिटिक वायरस थेरेपी (ओवीटी ) की मदद से किया।
क्या है ऑन्कोलिटिक वायरस थैरेपी
ओवीटी थैरेपी वायरस का इस्तेमाल कर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अब तक के ओवीटी के ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल अंतिम चरण के कैंसर रोगियों पर किए गए थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह ट्रायल शुरुआती चरण के कैंसर रोगियों पर भी किए जाने लगे हैं।
वायरस को सीधे ट्यूमर में इंजेक्ट किया
हैलासी ने वायरस को सीधे ट्यूमर में इंजेक्ट किया गया। इस दौरान कैंसर विशेषज्ञों ने उनकी निगरानी की ताकि स्थिति बिगडऩे पर उपचार रोका जा सके। हालांकि उपचार के दौरान कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे और ट्यूमर का आकार काफी कम हो गया। साथ ही वह छाती की मांसपेशियों और त्वचा से अलग हो गया था, जिससे इसे सर्जरी के माध्यम से आसानी से हटाया जा सका।
दो तरह के वायरस का प्रयोग किया
हैलासी ने अपने कैंसर को खत्म करने के लिए दो तरह के वायरस इस्तेमाल किए, जिसमें एक खसरा वायरस है और दूसरा वेसिकुलर स्टोमेटाइटिस वायरस है। यह दोनों वायरस उन कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जिनसे उनका ट्यूमर बना है और इन्हें पहले से ही कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जा चुका है। खासकर स्तन कैंसर के लिए खसरा वायरस का इस्तेमाल पहले भी हुआ है।

Hindi News / News Bulletin / क्रोएशिया की महिला वैज्ञानिक ने अपनी ही लैब में तैयार वायरस से ठीक किया खुद का ब्रेस्ट कैंसर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.