तय किया खुद ही करेंगी इलाज
क्रोएशिया में जाग्रेब यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट हैलासी को ब्रेस्ट कैंसर होने पर बायां स्तन हटा दिया गया था, लेकिन 2020 में फिर उसी जगह कैंसर हो गया। इस बार हैलासी ने तय किया कि वह कीमोथैरेपी से इलाज नहीं करवाएंगी और अध्ययन कर खुद अपना इलाज करेंगी। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हैलासी ने अपने स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर का उपचार ऑन्कोलिटिक वायरस थेरेपी (ओवीटी ) की मदद से किया।
क्रोएशिया में जाग्रेब यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट हैलासी को ब्रेस्ट कैंसर होने पर बायां स्तन हटा दिया गया था, लेकिन 2020 में फिर उसी जगह कैंसर हो गया। इस बार हैलासी ने तय किया कि वह कीमोथैरेपी से इलाज नहीं करवाएंगी और अध्ययन कर खुद अपना इलाज करेंगी। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हैलासी ने अपने स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर का उपचार ऑन्कोलिटिक वायरस थेरेपी (ओवीटी ) की मदद से किया।
क्या है ऑन्कोलिटिक वायरस थैरेपी
ओवीटी थैरेपी वायरस का इस्तेमाल कर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अब तक के ओवीटी के ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल अंतिम चरण के कैंसर रोगियों पर किए गए थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह ट्रायल शुरुआती चरण के कैंसर रोगियों पर भी किए जाने लगे हैं।
ओवीटी थैरेपी वायरस का इस्तेमाल कर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अब तक के ओवीटी के ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल अंतिम चरण के कैंसर रोगियों पर किए गए थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह ट्रायल शुरुआती चरण के कैंसर रोगियों पर भी किए जाने लगे हैं।
वायरस को सीधे ट्यूमर में इंजेक्ट किया
हैलासी ने वायरस को सीधे ट्यूमर में इंजेक्ट किया गया। इस दौरान कैंसर विशेषज्ञों ने उनकी निगरानी की ताकि स्थिति बिगडऩे पर उपचार रोका जा सके। हालांकि उपचार के दौरान कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे और ट्यूमर का आकार काफी कम हो गया। साथ ही वह छाती की मांसपेशियों और त्वचा से अलग हो गया था, जिससे इसे सर्जरी के माध्यम से आसानी से हटाया जा सका।
हैलासी ने वायरस को सीधे ट्यूमर में इंजेक्ट किया गया। इस दौरान कैंसर विशेषज्ञों ने उनकी निगरानी की ताकि स्थिति बिगडऩे पर उपचार रोका जा सके। हालांकि उपचार के दौरान कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे और ट्यूमर का आकार काफी कम हो गया। साथ ही वह छाती की मांसपेशियों और त्वचा से अलग हो गया था, जिससे इसे सर्जरी के माध्यम से आसानी से हटाया जा सका।
दो तरह के वायरस का प्रयोग किया
हैलासी ने अपने कैंसर को खत्म करने के लिए दो तरह के वायरस इस्तेमाल किए, जिसमें एक खसरा वायरस है और दूसरा वेसिकुलर स्टोमेटाइटिस वायरस है। यह दोनों वायरस उन कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जिनसे उनका ट्यूमर बना है और इन्हें पहले से ही कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जा चुका है। खासकर स्तन कैंसर के लिए खसरा वायरस का इस्तेमाल पहले भी हुआ है।
हैलासी ने अपने कैंसर को खत्म करने के लिए दो तरह के वायरस इस्तेमाल किए, जिसमें एक खसरा वायरस है और दूसरा वेसिकुलर स्टोमेटाइटिस वायरस है। यह दोनों वायरस उन कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जिनसे उनका ट्यूमर बना है और इन्हें पहले से ही कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जा चुका है। खासकर स्तन कैंसर के लिए खसरा वायरस का इस्तेमाल पहले भी हुआ है।