पन्ना. पुराना मोहल्ला की एक छोटी-सी झोपड़ी में गणपति बप्पा विराजमान हैं। बड़ी-बड़ी मूर्तियों और चमचमाते पंडालों के बीच यहां की साधारण झोपड़ी और बच्चों की सच्ची भक्ति किसी से कम नहीं है। मोहल्ले की बच्ची संजना सिंह ने अपने छोटे-छोटे हाथों से मिट्टी के गणपति बनाए। उनके लिए जंगल से जलाऊ लकड़ी बीनकर झोपड़ी बनाई। घर की बाड़ी में बने पंडाल में मिट्टी की प्रतिमा को बच्चों ने मिलकर सजाया। पूजा-अर्चना की और पूरे मोहल्ले की आस्था को वहां समेट दिया।
छोटे-छोटे बच्चों की नन्हें दिलों में बसी सच्ची आस्था
मंगलवार-बुधवार की रात जब तेज बारिश हुई तो झोपड़ी से पानी टपकने लगा। भगवान गणपति के माथे पर बारिश की बूंदें गिरने लगीं। जब आसमान से बरसी बारिश ने झोपड़ी को भिगो दिया तब भी बच्चों की आस्था डगमगाई नहीं। उन्होंने भगवान को भीगने से बचाने के लिए उपाय सोचा। बप्पा को बारिश से बचाने एक छतरी लेकर भगवान की प्रतिमा के ऊपर रख दी। भगवान भीगे न यह सोचकर बच्चों ने रातभर जागकर पहरा दिया। ये छोटे-छोटे बच्चे किसी बड़े पंडाल की चकाचौंध में नहीं बल्कि अपने नन्हे दिलों में बसी सच्ची आस्था में गणपति की सेवा कर रहे हैं।
दूसरों को देखकर बप्पा को दिया आकार
संजना की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। उसने कभी मूर्ति बनाने की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली। बस दूसरों की मूर्तियों को देखकर मिट्टी को आकार देने लगी। आठवीं कक्षा से ही गणपति की प्रतिमा बनाकर पूजा करती आई है। अब 11वीं कक्षा की संजना की मूर्तिकला में और भी निखार आ गया है। उसने पूरे मोहल्ले के बच्चों को अपने साथ जोड़ा है और हर साल पवित्र आयोजन को मिलकर संपन्न करती है।
इधर, भगवान जुगल किशोर को चढ़ाए सोने के दो कंगन
भगवान जुगल किशोर की महिमा को पन्ना के थोक दवा विक्रेता श्याम नारायण तिवारी ने अपने अनूठे समर्पण से और बढ़ा दिया है। बुधवार को उन्होंने भगवान जुगल किशोर को 27 ग्राम सोने के दो कंगन दान किए। इनकी कीमत 1 लाख 99 हजार रुपए है। मंदिर के मुसद्दी संतोष कुमार तिवारी ने इस दान के लिए उन्हें रसीद प्रदान की। श्याम नारायण पिछले 20 साल से दवाओं की थोक बिक्री का कारोबार कर रहे हैं। अपने व्यवसाय के आरंभ में ही निश्चय किया था कि भगवान जुगल किशोर उनके कारोबार के एक अभिन्न हिस्सेदार होंगे।
छोटे-छोटे बच्चों की नन्हें दिलों में बसी सच्ची आस्था
मंगलवार-बुधवार की रात जब तेज बारिश हुई तो झोपड़ी से पानी टपकने लगा। भगवान गणपति के माथे पर बारिश की बूंदें गिरने लगीं। जब आसमान से बरसी बारिश ने झोपड़ी को भिगो दिया तब भी बच्चों की आस्था डगमगाई नहीं। उन्होंने भगवान को भीगने से बचाने के लिए उपाय सोचा। बप्पा को बारिश से बचाने एक छतरी लेकर भगवान की प्रतिमा के ऊपर रख दी। भगवान भीगे न यह सोचकर बच्चों ने रातभर जागकर पहरा दिया। ये छोटे-छोटे बच्चे किसी बड़े पंडाल की चकाचौंध में नहीं बल्कि अपने नन्हे दिलों में बसी सच्ची आस्था में गणपति की सेवा कर रहे हैं।
दूसरों को देखकर बप्पा को दिया आकार
संजना की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। उसने कभी मूर्ति बनाने की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली। बस दूसरों की मूर्तियों को देखकर मिट्टी को आकार देने लगी। आठवीं कक्षा से ही गणपति की प्रतिमा बनाकर पूजा करती आई है। अब 11वीं कक्षा की संजना की मूर्तिकला में और भी निखार आ गया है। उसने पूरे मोहल्ले के बच्चों को अपने साथ जोड़ा है और हर साल पवित्र आयोजन को मिलकर संपन्न करती है।
इधर, भगवान जुगल किशोर को चढ़ाए सोने के दो कंगन
भगवान जुगल किशोर की महिमा को पन्ना के थोक दवा विक्रेता श्याम नारायण तिवारी ने अपने अनूठे समर्पण से और बढ़ा दिया है। बुधवार को उन्होंने भगवान जुगल किशोर को 27 ग्राम सोने के दो कंगन दान किए। इनकी कीमत 1 लाख 99 हजार रुपए है। मंदिर के मुसद्दी संतोष कुमार तिवारी ने इस दान के लिए उन्हें रसीद प्रदान की। श्याम नारायण पिछले 20 साल से दवाओं की थोक बिक्री का कारोबार कर रहे हैं। अपने व्यवसाय के आरंभ में ही निश्चय किया था कि भगवान जुगल किशोर उनके कारोबार के एक अभिन्न हिस्सेदार होंगे।