सागर. अवैध कॉलोनियों के मकडज़ाल ने शहर को अव्यवस्थित बनाने का काम किया है। अवैध कॉलोनियों की शिकायत पर सागर नगर निगम के मामले लोकायुक्त तक पहुंचे, जिसमें गोपालगंज और मोतीनगर में दो एफआइआर के रूप में चार कॉलोनाइजर्स व बिल्डर्स पर मुकदमे भी दर्ज हुए। इतना ही नहीं पिछले वर्ष विस चुनाव के पूर्व 170 से ज्यादा लोगों को नोटिस जारी किए गए, फिर भी अवैध कॉलोनियां काटने वालों के विरुद्ध आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। वर्ष-2016 में हुए सर्वे में निगम सीमा क्षेत्र में 272 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां बताईं गईं थीं।
डेढ़ दशक में 200 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां बनीं
प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े लोगों का दावा है कि नगर निगम क्षेत्र और इससे लगे इलाकों में पिछले 15 सालों में 200 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां का निर्माण हुआ है। प्रशासन ने 2016 से 2022 तक 102 कॉलोनियां बनने का पूर्व में खुलासा किया था। अवैध कॉलोनियों के मामले में प्रशासन अब तक सिर्फ नोटिस जारी करने तक ही सीमित रहा है।दोबारा सर्वे की जरुरत
अवैध कॉलोनियों की संख्या को लेकर हमेशा ही विवादित स्थिति रही है। निगम प्रशासन लंबे समय से अपने क्षेत्र में 272 अवैध कॉलोनियां होना बताता रहा है, जबकि नगरीय प्रशासन एव विकास विभाग भोपाल के रिकार्ड में 125 अवैध कॉलोनियां थीं। प्रॉपर्टी से जुड़े लोग निगम और उससे लगे क्षेत्रों में 400 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां बन जाने का दावा करते आ रहे हैं। अवैध कॉलोनियां का शहर में नए सिरे से सर्वे के जरुरत है।सूची जारी करने पर लाखों खर्च किए
सागर नगर निगम समेत, मकरोनिया, रहली, गढ़ाकोटा, देवरी आदि क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों की सूची सार्वजनिक करने के लिए प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च किए। अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया के दौरान यह कार्रवाई की गई, लेकिन 2018 में कमलनाथ सरकार आने के बाद फिर प्रक्रिया रुक गई। अवैध कॉलोनियों के विरुद्ध कार्रवाई 2016 में शुरू हुई थी।इन क्षेत्रों में ज्यादा बनीं अवैध कॉलोनियां
तिली, गोपालगंज, बाघराज, शिवाजीवार्ड, कनेरादेव, मोतीनगर, रविदास वार्ड, विट्ठलनगर, काकागंज, पंतनगर, अंबेडकरनगर, शास्त्रीवार्ड, सुभाषनगर आदि क्षेत्रों में सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनियों का निर्माण हुआ है।अवैध कॉलोनियों से ये है नुकसान
– भूखंड के क्रय-विक्रय पर शासन को नियमानुसार राजस्व प्राप्त नहीं होता। – कॉलोनाइजर्स व बिल्डर्स अवैध कॉलोनी में सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था नहीं करते, लिहाजा नगर निगम, विधायक, सांसद आदि निधियों से यह निर्माण कार्य करवाए जाते हैं। – टीएंडसीपी की गाइडलाइन से कॉलोनी के विकसित न होने के कारण जलभराव की स्थिति निर्मित होती है।
– अवैध कॉलोनियां शहर को अव्यवस्थित बनाती हैं। कॉलोनियां तंग गलियों में बदल जाती हैं।
फैक्ट फाइल
– 125 अवैध कॉलोनी भोपाल के रेकॉर्ड में हैं – 272 अवैध कॉलोनी नगर निगम के रेकॉर्ड में हैं – 27 मात्र नियमितीकरण के दायरे में आईं थीं