bell-icon-header
समाचार

बांसवाड़ा के 70 फीसदी आयुर्वेद अस्पतालों के भवन जर्जर, डे केयर बने अस्पताल

जिले के आयुर्वेद चिकित्सालयों में मरीजों को भर्ती की व्यवस्था ही नहीं, करजी में भवन जर्जर होने के कारण स्कूल के एक कमरे में चला रहे औषधालय, मरीजों को उठानी पड़ रही दिक्कत

बांसवाड़ाSep 26, 2024 / 09:24 pm

Ashish vajpayee

बांसवाड़ा जिले के करजी औषधालय भवन की दीवार पर बना होल।

आयुर्वेद को बढ़ावा देने के जतन में जुटा विभाग इनके अस्पतालों के हाल से कोई इत्तेफाक रखता नजर नहीं आ रहा है। विभाग की इस नजरअंदाजी के कारण ही जिले के 70 फीसदी अस्पताल तकरीबन जर्जर हो चुके हैं। कुछेक अस्पतालों के भवन की स्थितियां तो इतनी दयनीय है कि उन्हें विद्यालय या अन्यत्र संचालित किया जा रहा है। भवनों की इस दयनीय स्थितियों के कारण कर्मचारी तक भवन के भीतर बैठने में कतराते हैं। हालांकि विभागीय अधिकारियों की मानें तो ऐसे भवनों को दुरुस्त करने को लेकर अब प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। उच्च स्तर से प्रदेश के समस्त जिलों से जर्जर भवनों की जानकारी भी चाही गई है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि इन भवनों के मरम्मत कार्य जल्द होंगे।
भवन नहीं, चिकित्सालय बने डे केयर संस्थान

विभाग की नजरअंदाजी का आलम यह है कि जिले में संचालित तीन अस्पतालों में भी निर्देशानुसार काम नहीं हो पा रहा है। यहां मरीजों के भर्ती होने के लिए भवन ही नहीं है। इसलिए चिकित्सालयों को डे केयर की तरह संचालित करना पड़ रहा है। जिले में बांसवाड़ा, कूपड़ा और खोडन में चिकित्सालय संचालित हैं। जहां बेड की भी स्वीकृति है।
गिरने की कगार पर करजी का भवन, दीवार पर बना होल

करजी में संचालित आयुर्वेद औषधालय की स्थिति काफी दयनीय है। यहां की दीवारें और छत गिरने की कगार पर हैं। एक दीवार में तो बहुत बड़ा होल हो चुका है। व्यवस्थित भवन न होने के कारण अस्पताल को स्कूल के एक कमरे में संचालित करना पड़ता है। बीते वर्षों में 28 की हुई थोड़ी बहुत मरम्मत, 30 की तैयारी विभागीय अधिकारियों की मानें तो आयुष मिशन के तहत बीते कुछ वर्षों में पहले 15 फिर 13 चिकित्सा संस्थानों की थोड़ी बहुत मरम्मत कराई गई। इसी के तहत 30 चिकित्सा संस्थान की मरम्मत को लेकर कवायद चल रही है। इनकी मरम्मत के लिए चरणाबद्ध तरीके से साढ़े तीन लाख रुपए स्वीकृति दी गई।
विभाग ने शुरू की कवायद, बांसवाड़ा ने भेजा प्रस्ताव

आयुर्वेद विभाग निदेशक की ओर से राज्य के उपनिदेशकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने जिले के खराब हो चुके और खराब हो रहे भवनों की रिपोर्ट के साथ तकमीना बनाकर प्रस्ताव भेजें।
https://www.patrika.com/crime-news/superstition-on-the-exorcist-took-away-the-life-the-pregnant-woman-remained-chained-till-death-superstition-on-the-exorcist-took-away-the-life-the-body-of-the-pregnant-woman-rem-19017219
ताकि उनको बनवाया जा सके। इस निर्देश के बाद बांसवाड़ा से भी मरम्मत और निर्माण को लेकर प्रस्ताव तैयार कर जानकारी दी गई है। विभाग की ओर से अंदेशा जताया जा रहा है कि जल्द ही भवनों की दशा में सुधार होगा।
जिले में इतने चिकित्सा संस्थान

– 110 औषधालय

– 3 चिकित्सालय

– 1 योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र

– 1 मोबाइल यूनिट

यह कहते हैं अधिकारी

जिले में संचालित चिकित्सालयों और औषधालयों की मरम्मत और नए भवनों के निर्माण को लेकर जानकारी मांगी गई थी। इसके तहत पांच औषधालयों के नवीन निर्माण और आठ के मरम्मत के प्रस्ताव बनाकर भिजवाए गए हैं। विभाग की ओर से इनमें सुधार की दिशा में प्रयास कर रहा है। – डॉ. पीयूष जोशी, उपनिदेशक, आयुर्वेद विभाग, बांसवाड़ा

संबंधित विषय:

Hindi News / News Bulletin / बांसवाड़ा के 70 फीसदी आयुर्वेद अस्पतालों के भवन जर्जर, डे केयर बने अस्पताल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.