पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (एयूवी) ने चेन्नई तट से लगभग 140 समुद्री मील (लगभग 310 किमी) दूर समुद्र तल पर दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे की खोज की। संस्थान ने लापता एएन-32 विमान के अंतिम ज्ञात स्थान पर हाल ही में गहरे समुद्र में अन्वेषण क्षमता के साथ एक एयूवी तैनात किया था। मल्टी-बीम सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग), सिंथेटिक एपर्चर सोनार और हाई रिजॉल्यूशन फोटोग्राफी सहित कई पेलोड का उपयोग करके 3400 मीटर की गहराई पर की गई खोज के दौरान प्राप्त तस्वीरों के विश्लेषण से एक दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे की उपस्थिति का संकेत मिला।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार जांच में तस्वीरें एएन-32 विमान के अनुरूप पाई गई। इसके अलावा यह भी सामने आया कि संभावित दुर्घटना स्थल के आस-पास कोई अन्य विमान लापता नहीं हुआ था। ऐसे में विमान का यह मलबा संभवतः दुर्घटनाग्रस्त एएन-32 विमान (पंजीकरण क्रमांक के-2743) का होने का संकेत है।
आधे घंटे बाद ही हो गया था ओझल
ताम्बरम हवाई पट्टी से चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए 22 जुलाई, 2016 को सुबह करीब 8.30 बजे उड़ाने भरने के आधे घंटे बाद ही एएन-32 विमान राडार से ओझल हो गया और इसका एटीसी से इसके बाद कोई सम्पर्क नहीं हो पाया। इसमें चालक दल समेत 29 लोग सवार थे। इसके लगभग 23 हजार फीट की ऊंचाई से समुद्र में समा जाने की आशंका जताई गई थी।
वायुसेना ने छोड़ दी थी उम्मीद
थलसेना, कोस्ट गार्ड व वायु सेना के दर्जनों जहाजों व एक पनडुब्बी ने कई दिनों तक खोज अभियान चलाया, लेकिन लापता विमान का कोई पता नहीं चल पाया। आखिर हादसे के करीब दो महीने बाद सितम्बर 2016 में वायुसेना ने भी उम्मीद छोड़ दी और विमान में सवार सभी 29 लोगों को मृत मान लिया गया।