नई दिल्ली। भाजपा और कांग्रेस को पता है कि कोर वोटर तो चुनाव में बुनियाद बनाते हैं, लेकिन साइलेंट वोटर्स ही चुनाव जिताते हैं। यही वजह है कि दोनों दलों ने आखिरी क्षणों में खामोश रहने वाले उन मतदाताओं को रिझाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है, जो हर चुनाव में मुद्दों या फिर व्यक्तिगत पसंद और नापसंद के आधार पर वोट करते हैं।
छोटी जातियों के लिए माइक्रोमैनेजमेंट
भाजपा और कांग्रेस दोनों दल छोटी जातियों को गोलबंद करने के लिए माइक्रोमैनजमेंट पर कार्य कर रही है। भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद से गैर जाट ओबीसी में उसकी पकड़ पहले से ज्यादा मजबूत हुई है। उधर, कांग्रेस ने ओबीसी मतदाताओं को रिझाने के लिए आखिरी दिनों में छोटी-छोटी सभाओं से उन्हें साधने की कोशिश की।
ये जातियां हो सकती हैं किंगमेकर
वाल्मीकि, बाजीगर, सैंसी, धानक, कबीरपंथी, खटिक, ओबीसी वर्ग, सैनी, कश्यप, नाई, धोबी, जोगी, तेली, प्रजापति, छिन्दे, यादव, गडरिया, गुज्जर