प्रमोद सांवत के इस बयान के बाद राजनीति तेज हो गई है। सावंत ने यह भी कहा कि गोवा सरकार राज्य में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है और लोगों को गोवा के मंदिरों में आने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा “पुर्तगाली शासन के 450 वर्षों में, हिंदू संस्कृति का विनाश हुआ और कई लोगों का धर्मांतरण हुआ। राज्य के मंदिरों को नष्ट कर दिया गया। हम इन सबका कायाकल्प करने जा रहे हैं। इसमें गलत क्या है?”
सीएम ने आगे कहा, “मेरा मानना है कि जहां भी मंदिर नष्ट हालत में हैं, उनका पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए। यह मेरी दृढ़ राय है। हमारी सरकार ने पहले ही मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए फंड का बजट तैयार कर लिया था।” उन्होंने कहा कि कि उनकी सरकार गोवा में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त काम कर रही है, जो पर्यटकों के लिए सबसे अधिक मांग वाले स्थलों में से एक है। हर गांव में एक दो मंदिर होते हैं। हमें लोगों को समुद्र तट से मंदिर तक ले जाना है। उनकी सरकार सांस्कृतिक पर्यटन पर जोर दे रही है।
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इसके अलावा उन्होंने समान नागरिक संहिता को लेकर कहा, “मैं गर्व से कहता हूं कि गोवा अपनी आजादी के बाद से समान नागरिक संहिता का पालन कर रहा है। मेरा मानना है कि अन्य सभी राज्यों को यूसीसी का पालन करना चाहिए। हमने अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ भी गोवा यूसीसी पर चर्चा की है।” तो वहीं सावंत ने गोवा की मुक्ति में देरी के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ जबकि राज्य ने 1961 में मुक्ति हासिल की। उन्होंने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि इस 14 साल की देरी के लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर खुले मंच पर चर्चा होनी चाहिए। देश भर के लोगों ने गोवा की मुक्ति के लिए संघर्ष किया और उन्हें पुर्तगालियों से गोलियां खानी पड़ीं। उस पर भी चर्चा होनी चाहिए।”
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