ममता बनर्जी ने आज कैबिनेट की बैठक में उद्योग व संसदीय कार्य मंत्री के पद से पार्थ चटर्जी को हटाने का फैसला सुनाया है। अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व यह बैठक की गई। पार्थ चटर्जी के इस्तीफे को लेकर पार्टी के अंदर ही सूर उठने लगे थे। सियासी गलियारों में ऐसी चर्चाएं भी सामने आईं कि ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी घोटाले का खुलासा होने के बाद ही पार्थ की बर्खास्तगी चाहते थे। लेकिन ममता बनर्जी ने कोई ऐक्शन नहीं लिया। मगर अब पार्थ चटर्जी से उनका मंत्री पद छीन लिया गया है।
बता दें, सीएम ममता बनर्जी पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद से ही उनसे किनारा कर चुकी हैं। ममता बनर्जी यह भी कह चुकी है कि वह चाहती हैं कि सच्चाई सामने आए। वह भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करती हैं। वहीं, TMC के राज्य महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने उन्हें मंत्रिमंडल समेत सभी पदों से हटाने की मांग की थी। कुणाल घोष ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि पार्थ चटर्जी को तुरंत मंत्रालय और पार्टी के सभी पदों से हटाया जाना चाहिए। और अगर उनका बयान गलत है तो उन्हें ही निकाल दिया जाए।
मगर थोड़ी देर बाद अपने पुराने ट्वीट को डिलीट करते हुए उन्होंने कहा, “अपने पिछले ट्वीट में मैंने अपना विचार रखा था। अब पार्टी ने इस मुद्दे को संज्ञान में लिया है। आज शाम पांच बजे टीएमसी भवन में अभिषेक बनर्जी ने पार्टी की मीटिंग बुलाई है। मुझे भी इस मीटिंग में शामिल होने के लिए कहा गया है। चूंकि टीएमसी ने आधिकारिक रूप से इस मामले पर ऐक्शन लिया है, इसलिए मैं अपने निजी ट्वीट को डिलीट कर रहा हूं।”
कल मंत्री पद से इस्तीफे को लेकर मीडिया द्वारा किए गए सवाल पर पार्थ चटर्जी भड़क गए थे। गौरतलब है कि पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को SSC घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है। ईडी ने 23 जुलाई को दोनों को गिरफ्तार किया था। उन्हें विशेष कोर्ट ने 3 अगस्त तक ईडी की हिरासत में सौंपा है। ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के चार ठिकानों को खंगाला है। उन्होंने कमरों के अलावा बाथरूम में भी पैसे छिपाकर रखे थे। अब तक 53 करोड़ से ज्यादा की नकदी, सोना, और डॉलर आदि मिलो हैं। इसे देखते हुए ईडी को आशंका है कि यह घोटाला 100 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है।
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