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नई दिल्ली

पश्चिम एशिया: तख्तापलट के बाद कई देशों के निशाने पर आया सीरिया

अमरीकी सेना भी अपनी ताकत दिखा रही है, उसने मध्य सीरिया में आइएस के कई ठिकानों पर 75 से ज्यादा हवाई हमले किए हैं। इजरायल ने भी राजधानी दमिश्क के पास 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी हैं।

नई दिल्लीDec 11, 2024 / 12:35 am

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दमिश्क. सीरिया में तख्तापलट के बाद एक ओर जहां असद के क्रूर शासन से मुक्त जनता आजादी का जश्न मना रही है, वहीं नई सरकार के गठन को लेकर अभी धुंध नहीं छटी है। इस बीच विदेशी ताकतें भी सीरिया में पैर जमाने के अवसर नहीं छोड़ रही। तुर्की की रिबेल फोर्स ने कुर्दिश सीरियन डेमाक्रेटिक फोर्स (एडीएफ) को हराकर उत्तरी सीरिया के मनबिज इलाके पर कब्जा कर लिया है। एसडीएफ ने 2016 में आइएस को खदेड़ कर इस इलाके पर कब्जा किया था। उधर, अमरीकी सेना भी अपनी ताकत दिखा रही है, उसने मध्य सीरिया में आइएस के कई ठिकानों पर 75 से ज्यादा हवाई हमले किए हैं। इजरायल ने भी राजधानी दमिश्क के पास 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी हैं। इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा, हथियार ठिकानों को नष्ट करने के लिए ये हमले किए गए हैं।
उधर इजरायल ने साफ कर दिया है कि असद की सत्ता खत्म होने के बाद भी वह सीरिया में अपने कब्जे वाले इलाके खाली नहीं करेगा। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गोलान पहाडिय़ों को लेकर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, यह क्षेत्र अनंतकाल तक इजरायल का ही रहेगा। गौरतलब है कि इस्राइल ने 1967 के युद्ध के बाद सीरिया की गोलन पहाडिय़ों पर कब्जा कर लिया था। अब 57 साल बाद भी इसरायल इन कब्जों से पीछे हटने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि इजरायल के इस कब्जे को कई देश मान्यता नहीं देते।
संयुक्त राष्ट्र ने कब्जे को ठहराया अवैध
इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने सीरिया के गोलन पहाड़ी पर कब्जा बढ़ाने को समझौतों का उल्लंघन करार दिया। यूएन महासचिव एंटोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजैरिक ने कहा कि इजरायली सेनाएं जो कि पहले ही गोलन पहाडिय़ों पर कब्जा कर चुकी हैं, वह बफर जोन में भी आगे बढ़ रही है। यह 1974 में इस्राइल-सीरिया के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन है।
नेतन्याहू ने दे दिए थे दो माह पहले संकेत
13 साल चले गृहयुद्ध के बाद सीरिया में बशर अल असद शासन का अंत हो गया। रिपोर्टों में सामने आया है कि सुन्नी बहुल देश में यह घटना अचानक नहीं हुई। इसे लेकर लंबे समय से विद्रोही गुटों की तैयारी चल रही थी। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तो इसके बारे में दो माह पहले ही संकेत दे दिया था, जब 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में उन्होंने संबोधन के दौरान दो नक्शे दिखाए थे। एक को आशीर्वाद और दूसरे नक्शे में दिखाए देशों को शाप बताया था। इन देशों में इराक, ईरान और लेबनान के अलावा सीरिया भी था। खास बात ये है कि सीरिया के नक्शे को काले रंग से दर्शाया गया था।

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