इंडिया ब्लॉक के दलों के नेताओं ने कांस्टीट्यूशन क्लब में साझा पत्रकार वार्ता की। इसमें खरगे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का व्यवहार सदन में विपक्षी सदस्यों को अपमानित करने वाला और सरकार के एजेंडे के हिसाब से काम करने वाला है। विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा है, जिसकी वजह से गठबंधन के नेताओं ने विवश होकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। खरगे ने कहा कि सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति ज्यादा होती है और वह अपनी पदोन्नति पाने के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। सभापति विपक्ष के किसी भी नए या पुराने नेता को अपमानित करने में संकोच नहीं करते हैं।
सभापति खुद सदन के लिए बाधक बनते हैं और निष्पक्ष होकर सदन चलाने की बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हैं। विपक्षी सदस्यों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं और नियम से सदन चलाने की बजाय राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि 1952 के बाद से उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है। इस पद पर बैठा व्यक्ति हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहा है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस पद की गरिमा का उल्लेख करते हुए कहा था कि वह सभापति हैं और किसी पार्टी के नहीं हैं। सदन हमेशा नियमों के अनुसार चलाया जाना चाहिए और सभापति को सरकार के प्रवक्ता की तरह काम नही करना चाहिए।