निर्मला मिश्रा काफी वक्त से दक्षिणी कोलकाता के चेतला इलाके में रह रही थीं। यहीं पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। श्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में 1938 में जन्मी निर्मला मिश्रा को बालकृष्ण दास पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था। उनके लोकप्रिय बंगाली गानों में ‘इमोन एकता झिनुक’, ‘बोलो तो अर्शी’ और ‘ई बांग्लार माटी चाय’ शामिल हैं, जबकि उनके कुछ हिट ओडिया गाने ‘निदा भरा राती मधु झारा जान्हा’ और ‘मो मन बिना रे तारे’ हैं।
सिंगर के निधन के बाद उन्हें उनके प्रशंसक श्रद्धांजलि दे सकते हैं। गायिका के निधन पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख जाहिर करते हुए कहा है कि “मैं निर्मला मिश्रा के निधन से बेहद शोकाकुल हूं।” सीएम के अलावा कई अन्य हस्तियों और उनके प्रशंसकों ने भी सोशल मीडिया पर दिवंगत गायिका को श्रद्धांजलि दी।
भाजपा नेता और सांसद दिलीप घोष ने ट्वीट कर निर्मला मिश्रा के निधन पर दुख जताते हुए लिखा, “महान गायिका श्रीमती निर्मला मिश्राके निधन से दुखी हूँ। उनके कई कालातीत गीतों ने बंगाली संगीत के स्वर्ण युग को एक नया आयाम दिया।”
भाजपा उड़ीसा के प्रदेश उपाध्यक्ष भृगु बक्सीपात्र ने ट्वीट कर कहा, “प्रसिद्ध गायिका निर्मला मिश्रा के 81 वर्ष की आयु में निधन पर गहरा दुख हुआ। वह संगीत सुधाकर बालकृष्ण दास पुरस्कार की प्राप्तकर्ता थीं। उड़िया संगीत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।”
बीजद सांसद सुजीत कुमार ने ट्वीट कर कहा, “महान गायिका निर्मला मिश्रा का निधन ओडिशा के सभी संगीत प्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति है। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना।”
गायिका इंद्राणी सेन ने कहा, “मैं उनके गाने सुनकर बड़ी हुई हूं और रेडियो कार्यक्रमों में उनके गाने गाती थी। निर्मला दी एक महान इंसान थीं और बहुत ही मजाकिया इंसान भी। दुर्भाग्य से, वह काफी लंबे समय से बिमार चल रहीं थी, उनके चले जाने से बहुत दुखी हुं।”
आपको बता दें, निर्मला मिश्रा को गाने का पहला मौका साल 1960 में म्यूजिक डायरेक्टर बालाकृष्णा दास ने दिया था। उन्होंने पहली बार उड़िया फिल्म ‘श्री लोकनाथ’ के लिए एक गीत गाया था। ये गाना सुपरहिट गाना हुआ। इसके बाद निर्मला मिश्रा ने बैक टू बैक बंगाली फिल्मों के लिए गाने गाए। उड़िया फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी निर्मला मिश्रा ने कई गाने गाए हैं। यहीं नहीं उन्होंने असमिया भाषा में भी कई गाने गाएं हैं, जिसमें से एक मशहूर गाना ‘की नाम दी मतिम’ है।