सोनल मानसिंह ने मीरा बाई के जीवन पर आधारित नाट्य कथा -मीरा की शानदार प्रस्तुति के साथ समारोह का श्रीगणेश किया। आदिवासी लोक नृत्य की शुरूआत तेलंगाना के गुसाडी नृत्य से हुई। इसके बाद झारखंड के कलाकारों ने मर्दाना झूमर नृत्य, मध्यप्रदेश के भगोरिया तथा तमिलनाडू के थमत्तम आदिवासी नृत्यों की प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा ओडिसा के संथाली व गुजरात के मनियारो रास नृत्यों ने भी मन मोह लिया। अरुणाचल प्रदेश के डेलोंग पडुंग और समूह, गुजरात के योगेश भाई गढ़वी समूह, राजस्थान के उस्ताद अनवर खान मांगणियार समूह तथा बिहार की लोक गायिका मैथिली ठाकुर और उनके समूह की प्रस्तुतियों को भी दर्शकों ने खूब सराहा।
कामख्या कला पीठ केंद्र की संस्थापिका और महोत्सव की निदेशक सोनल मानसिंह ने कहा कि शाश्वत भारत महोत्सव दिल्ली के सांस्कृतिक आकाश को तरह-तरह की विविध संस्कृति के आसमानी इंद्रधनुषी रंगों, बेहतरीन परफॉर्मेंस और त्योहार की उमंग से रंग देने का एक सुंदर प्रयास साबित हुआ। इसमें नृत्य, संगीत और नाटक जैसी पारंपरिक एवं लोक कला की विधाओं को पेश किया गया।