दुश्मन पर संहारक बन टूट पड़ने में सक्षम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल यह जंगी जहाज सोलह ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइलों व सतह से सतह पर मार करने वाली 32 बराक-8 मिसाइलों से लैस है। इसमें दो एंटी सब मरीन राकेट लॉन्टर, 4 टॉकपीडो ट्यूब व 76 एमएम सुपर रैपिड गन माउंट के साथ दुश्मन के हथियारों का पता लगाने में सक्षम सैंसर्स तथा बैटल डेमेज कंट्रोल सिस्टम भी लगाए गए हैं। यह परमाणु, जैविक व रसायनिक हमले की स्थिति में भी मुकाबले में सक्षम है। खास बात यह है कि विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला सफल परीक्षण इम्फाल से इसके कमीशन होने से पहले ही किया जा चुका है।
हिंद महासागर में बढ़ती चीन की घुसपैठ और अरब सागर की ताजा घटनाओं के बीच इसके शामिल होने से नौसेना की ताकत बढ़ गई है। दो हेलिकॉप्टर की तैनाती में सक्षम इस जहाज पर लगभग 315 कर्मी तैनात हैं। इसकी कमान गनरी व मिसाइल विशेषज्ञ कैप्टन केके चौधरी को सौंपी गई है।
रिकॉर्ड समय में हुआ तैयार
आईएनएस इम्फाल रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार होने वाला पहला जहाज है। इसकी आधारशिला 19 मई, 2017 को रखी गई थी। इसका जलावतरण 20 अप्रैल, 2019 को हुआ। यह इस साल 28 अप्रैल को पहली समुद्री यात्रा पर रवाना हुआ। इसे छह माह के रिकॉर्ड समय में गत 20 अक्टूबर को नौसेना के सुपुर्द कर दिया गया। नौसेना का कहना है कि आईएनएस इम्फाल के निर्माण और परीक्षण में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम समय है।
‘सम्पूर्ण स्वदेशी’ जंगी बेड़ा
मझगांव डॉक लिमिटेड में बने आईएनएस इंफाल के निर्माण में 75 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक काम में ली गई है। कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, फोल्डेबल हैंगर डोर्स, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन हथियार प्रणाली और बो-माउंटेड सोनार देश में ही बने हैं। इसमें इस्तेमाल स्टील सम्पूर्ण स्वदेशी है।
फैक्ट फाइल
17 मीटर चौड़ाई
163 मीटर लम्बाई
7400 टन वजन
56 किमी प्रति घंटा रफ्तार
300 नौसैनिकों की क्षमता
42 दिन लगातार चलने में सक्षम