नई दिल्ली

गांवों में अस्पतालों की सेहत खराब, विशेषज्ञ डॉक्टरों के 67 फीसदी पद खाली

स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट: शहरी क्षेत्रों में स्पेशलिस्टों की 43 फीसदी कमी

नई दिल्लीSep 11, 2024 / 12:33 am

ANUJ SHARMA

नई दिल्ली. देश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के दावे और मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी होने के बावजूद प्राथमिक (पीएचसी)और सामुदायिक (सीएचसी) चिकित्सालयों की सेहत ठीक नहीं है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की हालत बहुत खराब है जहां करीब 68 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की और 22 फीसदी सामान्य डॉक्टरों की कमी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों में यह तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण सीएचसी में स्वीकृत पदों की तुलना में सर्जन के 73 प्रतिशत, फिजीशियन के 69 प्रतिशत, शिशु रोग विशेषज्ञों के 68 प्रतिशत और प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों के 61 प्रतिशत पद खाली हैं। उल्लेखनीय है कि शिशु एवं मातृ मृत्यु दर के आंकड़े सुधार कर सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में ग्रामीण सीएचसी में शिशु रोग एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की अहम भूमिका रहती है।
शहरी क्षेत्रों में हालात तुलनात्मक ठीक

पीएचसी और सीएचसी स्तर पर शहरी क्षेत्राें में भी हालात ज्यादा अच्छे नहीं हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्राें की तुलना में ठीक हैं। शहरी क्षेत्रों में 3472 विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत है लेकिन सरकारों ने केवल 3256 पद स्वीकृत किए हैं इनमें से भी 1415 (43%) पद खाली हैं। शहरी क्षेत्राें में पीएचसी में सामान्य डॉक्टरों के 19 फीसदी पद खाली हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में 31 मार्च 2023 तक कि आंकड़े दिए गए हैं।
जिला अस्पतालों में भी कमी

ग्रामीण व शहरी सीएचसी में सुविधाओं के अभाव के कारण विशेषज्ञ चिकित्सकों का उपयोग नहीं हो पाता लेकिन जिला अस्पतालों की हालत भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों के 20 प्रतिशत पद खाली हैं। जिला अस्पतालाें में 30 या उससे अधिक बैड होते हैं जहां ऑपरेशन थियेटर में सर्जरी भी की जा सकती है।
सीटें दोगुनी से ज्यादा बढ़ीं

उल्लेखनीय है कि देश में मेडिकल पीजी सीटों में पिछले 10 साल में 133 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ी है। एमबीबीएस की सीटों में भी इसी अवधि में 118 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

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