नई दिल्ली

Supreme Court: दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन ने चुनाव लड़ने के लिए मांगी बेल तो जज ने कहा…

Supreme Court: दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से AIMIM उम्मीदवार और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिल सकी। अब दिल्ली पुलिस कोर्ट में जवाब दाखिल करेगी।

नई दिल्लीJan 21, 2025 / 05:50 pm

Vishnu Bajpai

Supreme Court: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर एक ओर दिल्ली का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत नहीं मिल सकी। ताहिर हुसैनी दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रत्याशी हैं। ताहिर की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्ली पुलिस के वकील रजत नायर से जवाब मांगा है। इसके लिए कोर्ट ने रजत नायर को एक दिन का समय दिया है। अब बुधवार को इस मामले में फिर सुनवाई होगी। इससे पहले मंगलवार को ‌ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत को लेकर उनके वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन के बेंच के सामने अपने तर्क रखे। हालांकि समय समाप्त होने और दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता के समय मांग लेने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर सुनवाई एक दिन के लिए टाल दी है।

दिल्ली पुलिस के वकील ने मांगा समय

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से AIMIM प्रत्याशी और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार दोपहर साढ़े 12 बजे का समय निश्चित किया था। साथ ही आदेश दिया कि सुनवाई के दौरान प्रतिवादी (दिल्ली पुलिस) को भी उपस्थित होना होगा। दोपहर साढ़े 12 बजे एक बार फिर बेंच के सामने सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान दिल्ली पुलिस के वकील रजत नायर ने मामले में बहस करने की मांग की। इसपर बेंच ने ताहिर के वकील को याचिका की प्रति दिल्ली पुलिस के वकील को देने का निर्देश दिया।
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इसके बाद बेंच ने दिल्ली चुनाव 2025 में AIMIM प्रत्याशी ताहिर हुसैन के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल से सवाल जवाब किए। ताहिर के अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने बेंच के सामने ताहिर के लिए 15 दिन की अंतरिम जमानत देने की मांग रखी। सिद्धार्थ ने बताया कि ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव में नामांकन करने के लिए हाईकोर्ट की ओर से पैरोल दी गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इसपर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल ने कहा “ऐसे सभी व्यक्तियों के चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए।”

अब पढ़िए सुप्रीम कोर्ट की बेंच और ताहिर के वकील की बातचीत

जस्टिस पंकज मिथलः ताहिर हुसैन के खिलाफ 11 मामले हैं। 9 में जमानत मिल गई है। एक पीएमएलए का मामला। आपको अंतरिम जमानत देने का अवसर कहां है?
सिद्धार्थ अग्रवाल: इस मामले में ताहिर को 16 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था7 उनकी उम्र 47 साल है।
जस्टिस अमानुल्लाह: आपको हमें ऐसे संबोधित करना होगा जैसे कि आप नियमित जमानत मांग रहे हों।
सिद्धार्थ अग्रवाल: इस मामले में मुझे 16.03.2020 को गिरफ्तार किया गया था। मेरी उम्र 47 साल है।
जस्टिस अमानुल्लाह: मुकदमे की स्थिति क्या है?
सिद्धार्थ अग्रवाल: 115 गवाहों का हवाला दिया गया, 22 की जांच की गई। एक भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा कि मैंने सहयोग नहीं किया है। मुख्य हमलावरों को नियमित जमानत दे दी गई है।
जस्टिस पंकज मिथल: आक्षेपित आदेश पर आएं, आपने एफआईआर संख्या 101/2020 में अंतरिम जमानत के लिए आवेदन किया था।
सिद्धार्थ अग्रवाल: हाईकोर्ट कई पहलुओं पर तथ्यात्मक रूप से गलत था। मेरी नियमित जमानत हाईकोर्ट के समक्ष लंबित थी, उसमें मैंने अंतरिम याचिका दायर की थी और इस पर विचार नहीं किया गया।
जस्टिस पंकज मिथल: इस मामले में एफआईआर नंबर क्या है?
सिद्धार्थ अग्रवाल: आरोप 25.02.2020 की घटना के संबंध में है। आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत के संबंध में आरोप तय किए गए हैं। इसमें मुझे नामित करते हुए आरोप पत्र दायर किया गया था। आरोप पत्र में 11 आरोपी थे। 4 के खिलाफ आरोप था कि उन्होंने अंकित शर्मा को चाकू मारा और शव को ठिकाने लगा दिया। मेरे खिलाफ आरोप है कि मैंने लोगों को उकसाया। अन्य सभी मामलों में भी यही आरोप है।
जस्टिस पंकज मिथल: आपकी भागीदारी बहुत अधिक है। आप पुलिया पर मौजूद थे। आरोप पत्र आपकी उपस्थिति दर्शाता है। गवाहों ने कहा है कि आप भड़का रहे थे।
सिद्धार्थ अग्रवाल: मैंने पीसीआर को बुलाया और स्थिति से निपटने के लिए कहा। मेरे खिलाफ आरोप भीड़ और उकसावे से जुड़ा है। मैं 4 साल 10 महीने से जेल में हूं।
जस्टिस पंकज मिथल: आप नियमित जमानत के बजाय अंतरिम जमानत पर दबाव क्यों डाल रहे हैं? मानो जीवन में चुनाव ही एकमात्र काम है।
सिद्धार्थ अग्रवाल: इस मामले के कारकों को 15 दिन की जमानत देने में ध्यान देना चाहिए।
जस्टिस पंकज मिथल: अंतरिम जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन आपकी नियमित जमानत के लिए…
सिद्धार्थ अग्रवाल: मैंने कस्टडी पैरोल में नामांकन दाखिल किया है। लेकिन यह आपके आधिपत्य के विवेक पर निर्भर है।
जस्टिस अमानुल्लाह: अगर नियमित जमानत देने का मामला है तो अंतरिम जमानत क्यों नहीं दी जाती? 9 मामलों में एक ही तरह से उकसाने का आरोप? आप उससे आंखें बंद नहीं कर सकते।
जस्टिस पंकज मिथल: कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील रजत नायर को संबोधित करते हुए “अंतरिम जमानत का समय समाप्त हो रहा है। कल तैयार होकर आओ। हम कल उठाएंगे।”

हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी अंतरिम जमानत याचिका

दरअसल, 14 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने AIMIM के टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने के लिए ताहिर हुसैन को कस्टडी पैरोल दे दी थी। हालांकि, चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत की उनकी याचिका को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया गया कि हिंसा में मुख्य अपराधी होने के कारण हुसैन के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि दंगों के संबंध में ताहिर के खिलाफ 11 प्राथमिकियां दर्ज की गई। ताहिर मनी लॉन्ड्रिंग और यूएपीए मामले में हिरासत में थे।
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दिल्ली पुलिस ने अंतरिम जमानत का किया विरोध

हाईकोर्ट में ताहिर के वकील ने तर्क दिया कि चुनाव लड़ना एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए उन्हें न केवल 17 जनवरी तक अपना नामांकन दाखिल करना होगा। बल्कि एक बैंक खाता भी खोलना होगा और प्रचार करना होगा। इसका विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा था कि चुनाव लड़ना कोई मौलिक अधिकार नहीं है। पुलिस ने आरोप लगाया था कि हुसैन फरवरी 2020 के दंगों का मुख्य साजिशकर्ता और फंडरर था। वह औपचारिकताएं पूरी कर सकता है और हिरासत पैरोल पर चुनाव लड़ सकता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने ताहिर को कस्टडी पैरोल देने का आदेश दिया।

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