डॉक्टर सुअरों को जेनेटिकली मॉडिफाई कर रहे हैं, ताकि उनके अंग इंसानों के शरीर से मेल खा सकें। इस प्रक्रिया को ‘जीनोट्रांसप्लांटेशन’ कहा जाता है। टुवाना लूनी ने 1999 में मां को अपनी एक किडनी दान की थी। कुछ साल बाद प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर ने उनकी दूसरी किडनी को नुकसान पहुंचाया। इसने 2016 में काम करना बंद कर दिया। आठ साल तक लूनी ने डायलिसिस पर गुजारा किया। न्यूयॉर्क के एनवाइयू लैंगोन अस्पताल में 25 नवंबर, 2024 को उनके शरीर में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई।
बेहतरी के लिए 10 जेनेटिक बदलाव सात घंटे लंबे ऑपरेशन के दौरान टुवाना लूनी में जो किडनी ट्रांसप्लांट की गई, वह वर्जीनिया में बायोटेक कंपनी रेविविकोर ने तैयार की थी। सुअर की इस किडनी में 10 जेनेटिक बदलाव किए गए, ताकि यह इंसान के शरीर में बेहतर तरीके से काम कर सके। ऑपरेशन के 11 दिन बाद लूनी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों के मुताबिक उनमें किडनी सामान्य तरीके से काम कर रही है।
ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहे थे दो मरीज लूनी से पहले दो और लोगों में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी, लेकिन वे ज्यादा समय तक नहीं जी सके। पहले मरीज रिक स्लेमन की ट्रांसप्लांट के दो महीने बाद मौत हो गई। दूसरी मरीज लीसा पिसानो 47 दिन जिंदा रही। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी अस्पताल ने 2023 में एक मृत व्यक्ति के शरीर में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की थी। उस किडनी ने 61 दिन बाद काम बंद कर दिया।