प्रयागराज की रहने वाली मरीज में गांठ बन गई थी। कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में इस गाठ का पता चला। एसजीपीजीआइएमएस में रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चंद ने बताया, चूंकि जटिलताओं के कारण गले में चीरा लगाए बिना प्रयागराज में सर्जरी संभव नहीं थी, इसलिए उसे लखनऊ के अस्पताल रैफर कर दिया गया था। इस अविवाहित युवती के गले में थायरॉइड की गांठ लगातार बढ़ रही थी। एसजीपीजीआइएमएस में सर्जरी के बाद अब वह स्वस्थ है।
गले में चीरा लगाए बगैर हुई सर्जरी एसजीपीजीआइएमएस में जांच के बाद पता चला कि मरीज को पैपिलरी थायरॉइड कैंसर है, जिसे रोबोटिक तरीके से हटाया जा सकता है। परिवार की सहमति के बाद रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉक्टर ज्ञान चंद और उनकी टीम ने चार घंटे के ऑपरेशन में बिना चीरा लगाए मरीज के गले में कैंसर वाली थायरॉइड ग्रंथि समेत कई गांठों को सफलतापूर्वक निकाल दिया।
निशान रह जाता तो शादी में बाधा आती प्रयागराज के कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टरों ने युवती के परिवार को बताया था कि गांठ घातक है। वहां गले में चीरा लगाए बिना सर्जरी संभव नहीं होने से मरीज और उसके परिजन काफी परेशान थे, क्योंकि सर्जरी के बाद गले पर चीरे के निशान रह जाने का डर था। इससे लड़की की शादी में बाधा आ सकती थी।