कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश, मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र, प्रदेश प्रभारी गिरीश चोडनकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर दौरा और वहां के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने की मांग उठाई। उन्होंने मणिपुर में तुरंत पूर्णकालिक राज्यपाल नियुक्त किए जाने की भी मांग उठाई।
जयराम रमेश ने कहा कि 3 मई 2023 से मणिपुर जल रहा है। हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं, कई लोग मारे गए हैं। वहां डबल इंजन सरकार फेल हो गई है। नरेंद्र मोदी दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर प्रवचन दिया करते हैं, लेकिन आज तक मणिपुर नहीं जा सके। कांग्रेस की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर जाएं, राजनीतिक दलों से मिलें और राहत शिविर में रहने वाले लोगों से भी मिलें। 31 जुलाई, 2024 से मणिपुर में पूर्णकालिक राज्यपाल नहीं है, इसलिए जल्द से जल्द पूर्णकालिक राज्यपाल को नियुक्त किया जाए।
विफलताओं के बावजूद सीएम को क्यों बचा रहे
जयराम ने पूछा कि विफलताओं के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री को क्यों बचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह अगर ईमानदारी से ड्रग माफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहते हैं, तो हाईकोर्ट में लंबित सभी मामलों में कार्रवाई शुरू कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र टूट चुका है, इसके बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री को पद से नहीं हटाया गया। ये समझ से परे है।महंगाई बेरोजगारी बढ़ी
मणिपुर कांग्रेस प्रभारी गिरीश चोडनकर ने कहा कि मणिपुर में महंगाई, बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है। पिछले डेढ़ साल से जारी हिंसा के कारण प्रदेश के बच्चों की पढ़ाई का भी बहुत नुकसान हुआ है। लोगों की नौकरियां चली गईं हैं। ये सब कुछ बीते 18 महीने में हुआ और मणिपुर के लोगों ने ये सब सहा है, लेकिन अब चीजें हद से पार जा चुकी हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री की नाकामी है। कांग्रेस ने अपनी तरफ से मणिपुर में शांति स्थापित करने की पूरी कोशिश की। जहां एक ओर प्रधानमंत्री मणिपुर नहीं गए, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी कई बार मणिपुर जा चुके हैं। चोडनकर ने कहा कि लंबे समय से जारी अशांति के कारण लोगों में हताशा है। यह देश के इतिहास में मानवीय संकट भी बन गया है। पिछले 18 महीनों में लगभग 300 लोगों की जान चली गई है। लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। 50,000 लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। विभिन्न धार्मिक स्थलों, घरों और गांवों को नष्ट कर दिया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है। प्रधानमंत्री को मणिपुर के लोगों से सीधे संपर्क करना चाहिए, ताकि आगे की तबाही व हिंसा को रोका जा सके और शांति बहाल की जा सके।