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नई दिल्ली

मध्यप्रदेश-राजस्थान में चीता संरक्षण परिसर बनाने की तैयारी

गांधीसागर अभयारण्य में इसी साल लाए जाएंगे चीते

नई दिल्लीSep 20, 2024 / 01:33 am

ANUJ SHARMA

नई दिल्ली. चीता प्रोजेक्ट के तहत इस साल के अंत तक मध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा पर गांधी सागर वन्य जीव अभयारण्य में पांच से आठ चीतों का नया समूह लाकर छोड़ा जा सकता है। अगले पांच साल में इन चीतों को खुले वातावरण में छोड़ा जाएगा। केंद्र सरकार अगले 25 साल में मध्यप्रदेश और राजस्थान में अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर बनाने की तैयारी में है जहां 60 से 70 चीतों को रखा जा सके। प्रोजेक्ट चीता को दो साल पूरे होने पर जारी 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार गांधी सागर अभयारण्य में पहले चरण में पांच से आठ चीतों को 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी-रोधी बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा और उनके प्रजनन पर ध्यान दिया जाएगा। अधिकारी 368 वर्ग किलोमीटर के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के अगले समूह के लिए तैयार करने में व्यस्त हैं। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दिनों में कुनो में कुछ चीतों को बाड़ों से निकालकर राष्ट्रीय उद्यान के बड़े बिना बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।रिपोर्ट में मध्यप्रदेश और राजस्थान में अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर की परिकल्पना के बारे में कहा गया है कि कूनो-गांधी सागर लेंडस्केप मध्यप्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना, गुना, अशोकनगर, मंदसौर और नीमच जिलों और राजस्थान के बारां, सवाई माधोपुर, करौली, कोटा, झालावाड़, बूंदी और चित्तौड़गढ़ जिलों में स्थित है। इस क्षेत्र से सटे मध्य प्रदेश के भिंड और दतिया जिले, राजस्थान के धौलपुर, तथा उत्तर प्रदेश के ललितपुर और झांसी को इस परिसर का हिस्सा बनाया जाएगा। योजना इस पर निर्भर करेगी कि चीता इस क्षेत्र का किस प्रकार उपयोग करते हैं।
शिकार का इंतजाम चुनौती

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीतोंं के लिए चीतल आदि शिकार आबादी का इंतजाम चुनौती है। कुनो में तेंदुओं के शिकार करने के कारण चीतों के लिए खाने की समस्या है और वहां चीतल की कमी आ रही है। इसके लिए चीतल और काले हिरण जैसे शिकार की तत्काल वृद्धि की आवश्यकता है। इसके लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ही कैप्टिव प्रजनन करवाया जा सकता है। गांधी सागर अभयारण्य में भी चीतों को छोड़ने से पहले करीब 1,500 चीतलों की अतिरिक्त जरूरत होगी।

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