नई दिल्ली

जानिए 99 साल पहले किसलिए हुआ था बुलडोजर का निर्माण, जिसका हो रहा आज तोड़फोड़ में इस्तेमाल

मौजूदा दौर में अवैध निर्माण के तोड़फोड़ में बुलडोर जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। सियासत के पिच में भी बुलडोजर छाया हुआ है। मगर कम ही लोग जानते हैं इसका निर्माण तोड़फोड़ के लिए नहीं बल्कि किसी और काम के लिए हुआ, मगर आज इसने भारत में अवैध निर्माण को ठीकाने पर लगाने का काम शुरू कर दिया है।

नई दिल्लीMay 15, 2022 / 07:13 am

Archana Keshri

जानिए 99 साल पहले किसलिए हुआ था बुलडोजर का निर्माण, जिसका हो रहा आज तोड़फोड़ में इस्तेमाल

इन दिनों देश में बुलडोजर काफी चर्चा में है। मीडिया से लेकर आमजन तक बुलडोजर ही छाया हुआ है। दूसरे शब्दों में कहें तो बुलडोजर दंगाइयों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रतीक बन गया है। हांलाकि, बुलडोजर का आविष्कार इस काम के लिए नहीं किया गया था। जब से उत्तर प्रदेश की कमान सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाली है तब से ही बुलडोजर बहुत चर्चा में रहने लगा है। यहां तक की सीएम योगी को बुलडोजर बाबा कहा जाने लगा है। तो वहीं यूपी के बाद ये मध्य प्रदेश के खरगोन में भी छाया। अब देश की राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुर में बुलडोजर की गरज पूरे देश में सुनने को मिली। मगर क्या आप जानते हैं बुलडोजर का निर्माण असल में किस काम के लिए किया गया था? चलिए हम आपको बताते हैं।
वैसे तो बुलडोजर का आविष्कार इंजीनियरिंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण घटना थी। हाल ही चर्चा में आए बुलडोजर का आविष्‍कार खेती-किसानों के कामों के लिए किया गया, मगर समय के साथ इसके इस्‍तेमाल बदलते चले गए। 99 साल पहले जिसने बुलडोजर का आविष्कार किया था, उसके दिमाग में इसके जरिए खेती-किसानी को समृद्ध करने की योजना थी। दरअसल खेती के लिए कई जमीनें इतनी उबड़-खाबड़ होती थीं कि उन्हें सपाट करके भुरभुरी उपजाऊ जमीन में तब्दील करना बहुत मुश्किल होता था। खेती करने वालों को बहुत मुश्किल होती थी।
दुनिया के पहले बुलडोज़र का आविष्कार 18 दिसंबर 1923 में किसान जेम्स कमिंग्स और ड्राफ्ट्समैन जे. अर्ल मैकलियोड ने मोरोविल, कान्सास में किया था। उन्होंने एक ऐसा बड़ा ब्‍लेड बनाया जो बड़ी मात्रा में मिट्टी को धक्‍का दे सकता था। इसे ट्रैक्टर के साथ जुड़कर चलाने के लिए बनाया गया था। उस समय ट्रैक्टर का उपयोग खेतों की जुताई के लिए किया जाता था। इस ‘अटैचमेंट फॉर ट्रैक्टर्स’ के लिए उनका पेटेंट 1925 में स्वीकृत किया गया था। बुलडोजर की मुख्य विशेषता उसका बड़ा, सामने का ब्लेड और एक शक्तिशाली इंजन है जो भारी-भरकम चीज़ों को धक्‍का देने का काम करता है।
जेम्स कमिंग्स और जे. अर्ल मैकलियोड ने इसका अमेरिकी पेटेंट भी करा लिया। पेटेंट नंबर था 1,522,378। लेकिन ये पेटेंट कृषि कार्यों में टैक्ट्रर के अटैचमेंट के तौर पर हुआ। 1920 के दशक में ट्रक आ चुके थे और खूब इस्तेमाल भी होने लगे थे। हालांकि तब के ट्रक रबर टायर वाले नहीं थे। 40 के दशक में रबर टायर वाले वाहन आए। 1930 के दशक के बीच तक आते आते ये खेतों और कृषि कामों में इस्तेमाल भी होने लगे। इनके ब्लेड्स को उठाने और गिराने के लिए इसमें फिर हाइड्रॉलिक सिलिंडर्स की मदद ली गई। ये भी महसूस होने लगा कि शायद ट्रैक्टर की अपेक्षा बड़ा और दमदार वाहन का बेस होना चाहिए, जो इन ब्लेड्स को आसानी से आपरेट कर पाए। इस तरह फिर बुलडोजर के लिए अलग तरह के वाहनों का आगमन हुआ।
तो वहीं दुनिया में शुरुआती ट्रैक्टर बनाने में फेमस रही हॉल्ट कंपनी ने शुरुआती बुलडोजर खेती की जमीनों को ठीक करने के लिए ही बनाया था। हालांकि, पहले बुलडोज़र का ताकतवर आर्म केवल घोड़ों या ट्रैक्‍टर से जोड़कर इस्‍तेमाल किया जाता था क्‍योंकि यह मूव नहीं हो सकता था, मगर इसमें हाइड्रॉलिक्‍स को जोड़ने के बाद ये आर्म मूव करने लगा और इसके दूसरे इस्‍तेमाल भी होने लगे। पूरी दुनिया में बुलडोजर का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में गंदगी, पत्थर, मलबे को धकेलने के लिए किया जाता है। ये खानों, खदानों, खेतों और निर्माण स्थलों पर काम करने के लिए एक महत्‍वपूर्ण आविष्‍कार है।

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तो वहीं इसका पहले इस्तेमाल बर्फ हटाने कि लिए भी किया जाता था। ये बात तब की है जब ब्रिटेन में 1946-47 में जमकर बर्फ पड़ी। कई गांवों में सप्लाई चैन में बाधा पड़ने लगी। तब बड़े-बड़े टायरों वाले और बर्फ हटाकर रास्ता बनाकर चलने वाले बुलडोजर की मदद ली गई। पहली बार ये अंदाज हुआ कि बुलडोजर से तो ये काम भी आसानी से हो सकता है। तब से ये सड़कों पर पड़ी बर्फ हटाने के काम भी आने लगे। बर्फ हटाने के साथ-साथ इसके साथ और भी कई काम किए जाने लगे जिसके बाद इसका इसका इस्तेमाल अवैध अतिक्रमण हटवाने में भी लिया जाने लगा। और फिर इसने अवैध निर्माण को ठीकाने पर लगाने का काम शुरू कर दिया है।
आज के समय में बुलडोज़र में रबड़ के पहिए इस्‍तेमाल होने लगे हैं मगर पूर्व में इसमें चेन ट्रेड का इस्‍तेमाल होता था। इससे बुलडोज़र एक समान रूप से फैलता था और वह ऊबड़-खाबड़ रास्‍तों पर आसानी से चल सकता था। तो वहीं आज भारत में बुलडोजर सियायसत का बहुत बड़ा चेहरा हो गया है। दंगाइयों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रतीक बन गया है और इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। अब वो दिन भी दूर नहीं जब बुलडोजर किसी राजनीतित पार्टी का चुनाव चिन्ह बन जाए।

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