आइयूसीएन की ‘रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीशीज’ के तहत रिपोर्ट जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के कॉप-16 शिखर सम्मेलन के दौरान जारी की गई, जो कोलंबिया के काली शहर में हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि पेड़ों की 16,000 से ज्यादा प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। रिपोर्ट उस अध्ययन पर आधारित है, जिसमें 47,000 से ज्यादा प्रजातियों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में एक हजार से ज्यादा विशेषज्ञ शामिल थे। अनुमान है कि दुनियाभर में 58,000 प्रजातियों के करीब 300 अरब पेड़ हैं।
तेजी से घटते जंगल रिपोर्ट के मुताबिक जंगल तेजी से कम हो रहे हैं। पेड़ों को लकड़ी के लिए काटा जा रहा है। खेती और मानव विस्तार के लिए जमीन खाली की जा रही है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी सूखा और जंगल की आग जैसी समस्याओं के कारण अतिरिक्त खतरे पैदा कर रहा है।
हर साल 15 अरब से ज्यादा का सफाया आइयूसीएन की महानिदेशक ग्रेथल एगुइलर का कहना है कि पेड़ पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। हर साल 15 अरब से ज्यादा पेड़ काटे जाते हैं। मानव सभ्यता की शुरुआत में दुनिया में जितने पेड़ थे, उनकी संख्या लगभग आधी हो चुकी है।