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नई दिल्ली

देश में दो चरणों में धरातल पर उतरेगा एक देश एक चुनाव

– लोकसभा और राज्यसभा के एक साथ चुनाव के लिए राज्यों के समर्थन की जरूरत नहीं है

– 5 संविधान संशोधन बिल लाकर 15 से अधिक अनुच्छेद में जोड़ और घटाव करना होगा, तब लागू हो पाएगी नई व्यवस्था
अगर हंग असेंबली होती है या सरकार समय से पहले गिर जाती है तो मध्यावधि चुनाव शेष कार्यकाल के लिए होगा

नई दिल्लीSep 19, 2024 / 04:56 pm

Navneet Mishra

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नवनीत मिश्र

नई दिल्ली। भारत में एक देश-एक चुनाव के लिए बुधवार को मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की उच्चस्तरीय कमेटी के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। दो चरणों में इसे हकीकत बनाने की तैयारी है। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे और इसके 100 दिन के भीतर दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव कराने की तैयारी है। 2029 में एक देश-एक चुनाव को हकीकत बनाने की तैयारी है। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसी साल मार्च में सिफारिशों को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू को सौंपी थी। सूत्रों के मुताबिक, शीतकालीन सत्र में सरकार संविधान संशोधन बिल ला सकती है।

पहले चरण के लिए राज्यों के रजामंदी जरूरी नहीं

लोकसभा और राज्यों के चुनाव एक साथ कराने के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यता नहीं है। रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुच्छेद 83( संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172(राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन करते हुए अनुच्छेद 82 क को अंतःस्थापित किए जाने के लिए एक संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा। इसके लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता नहीं है।

दूसरे चरण के लिए राज्यों की सहमति जरूरी

जहां सदन या विधानसभा अपने पूर्णकार्यकाल से पहले भंग हो जाती है, आयोजित चुनाव को मध्यावधि चुनाव माना जाएगा। 5 वर्ष की समाप्त के बाद होने वाले चुनाव को आम चुनाव माना जाएगा

हंग और भंग पर मध्यावधि चुनाव

यदि लोकसभा और विधानसभा पहली बैठक के लिए नियत तिथि से 5 वर्ष से पहले भंग कर दी जाती हैं तो सदन या राज्य विधानसभा के लिए मध्यावधि चुनाव होगा। लेकिन मध्यावधि चुनाव शेष बचे कार्यकाल के लिए होगा न कि अगले 5 साल के लिए।

कार्यकाल घटेगा या बढ़ेगा

 उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल 2027 तक है। ऐसे में यहां 2027 में चुनाव हुए तो फिर अगला कार्यकाल 2029 तक स्वतः समाप्त हो जाएगा। इसी तरह राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ का कार्यकाल 2028 तक है तो इनके कार्यकाल को 2029 में लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया जा सकता है

लोकसभा के साथ ही खत्म होंगे विधानसभाओं के कार्यकाल

रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार एक देश एक चुनाव की व्यवस्था लागू हुई तो विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर ही खत्म होगा, भले ही गठन किसी भी समय क्यों न किया गया हो।
नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को लोकसभा और राज्य विधानसभआओं के चुनाव के 100 दिन के अंदर कराने के लिए एक और संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा, जिसमें अनुच्छेद 324 क को सम्मिलित करने के साथ संविधान के अनुच्छेद 325 में संशोधन किया जाएगा। इसे राज्यों में भी पारित कराना होगा। क्योंकि यह चुनाव राज्यों के मामले से जुड़े हैं।

मतदाता सूची के लिए भी राज्यों की रजामंदी

अनुच्छेद 325 में संशोधन से देश भर में एक मतदाता सूची तैयार हो सकेगी। इसके लिए कम से कम आधे राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी।

संविधान का उल्लंघन नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि एक साथ चुनाव के लिए राज्यों और लोकसभा के कार्यकाल साथ-साथ करने के लिए अस्थाई प्रावधान सिर्फ एक बार के लिए हो रहे हैं, इसलिए यह संविधान के बुनियादी ढांचे या संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करते हैं।

5 तरह के संविधान संशोधन बिल लाने होंगे

प्रथम संवैधानिक संशोधन में इन उपबंधों में जोड़ना-घटाना
अनुच्छेद 82(क), अनुच्छेद 83(2), अनुच्छेद 83(3), अनुच्छेद 83(4) के अधीन लोकसभा की अवधि, अनुच्छेद 172(3), 172(4), 172(5) और अनुच्छेद 327 के अधीन राज्य विधानसभा की अवधि। इसके लिए आधे राज्यों के समर्थन की जरूरत नहीं है
दूसरा संवैधानिक संशोधन विधेयक: स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिए अनुच्छेद 325 और निकायों के आक साथ चुनाव के लिए अनुच्छेद 324 में संशोधन करना होगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 368(2) के अधीन कम से कम आधे राज्यों के समर्थन की जरूरत होगी। क्योंकि मामले राज्य के मामलों से संबंधित हैं।
तीसरा संवैधानिक संशोधन बिल केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली के लिए लाना होगा

चौधा विधेयक केंद्रशासित प्रदेश पुदुचेरी के लिए लाना होगा

 पांचवां विधेयक जम्मू-कश्मीर को लेकर जुड़ा होगा

खास बातें

-देश में 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव होते थे
-विधि आयोग की 1999 में आई 170वीं रिपोर्ट में भी एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश हुई थी
-संसदीय समिति की 2015 में जारी 79वीं रिपोर्ट में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश हुई

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