पहले चरण के लिए राज्यों के रजामंदी जरूरी नहीं
लोकसभा और राज्यों के चुनाव एक साथ कराने के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यता नहीं है। रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुच्छेद 83( संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172(राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन करते हुए अनुच्छेद 82 क को अंतःस्थापित किए जाने के लिए एक संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा। इसके लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता नहीं है।दूसरे चरण के लिए राज्यों की सहमति जरूरी
जहां सदन या विधानसभा अपने पूर्णकार्यकाल से पहले भंग हो जाती है, आयोजित चुनाव को मध्यावधि चुनाव माना जाएगा। 5 वर्ष की समाप्त के बाद होने वाले चुनाव को आम चुनाव माना जाएगाहंग और भंग पर मध्यावधि चुनाव
यदि लोकसभा और विधानसभा पहली बैठक के लिए नियत तिथि से 5 वर्ष से पहले भंग कर दी जाती हैं तो सदन या राज्य विधानसभा के लिए मध्यावधि चुनाव होगा। लेकिन मध्यावधि चुनाव शेष बचे कार्यकाल के लिए होगा न कि अगले 5 साल के लिए।कार्यकाल घटेगा या बढ़ेगा
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल 2027 तक है। ऐसे में यहां 2027 में चुनाव हुए तो फिर अगला कार्यकाल 2029 तक स्वतः समाप्त हो जाएगा। इसी तरह राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ का कार्यकाल 2028 तक है तो इनके कार्यकाल को 2029 में लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया जा सकता हैलोकसभा के साथ ही खत्म होंगे विधानसभाओं के कार्यकाल
रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार एक देश एक चुनाव की व्यवस्था लागू हुई तो विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर ही खत्म होगा, भले ही गठन किसी भी समय क्यों न किया गया हो।मतदाता सूची के लिए भी राज्यों की रजामंदी
अनुच्छेद 325 में संशोधन से देश भर में एक मतदाता सूची तैयार हो सकेगी। इसके लिए कम से कम आधे राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी।संविधान का उल्लंघन नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि एक साथ चुनाव के लिए राज्यों और लोकसभा के कार्यकाल साथ-साथ करने के लिए अस्थाई प्रावधान सिर्फ एक बार के लिए हो रहे हैं, इसलिए यह संविधान के बुनियादी ढांचे या संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करते हैं।5 तरह के संविधान संशोधन बिल लाने होंगे
प्रथम संवैधानिक संशोधन में इन उपबंधों में जोड़ना-घटानाअनुच्छेद 82(क), अनुच्छेद 83(2), अनुच्छेद 83(3), अनुच्छेद 83(4) के अधीन लोकसभा की अवधि, अनुच्छेद 172(3), 172(4), 172(5) और अनुच्छेद 327 के अधीन राज्य विधानसभा की अवधि। इसके लिए आधे राज्यों के समर्थन की जरूरत नहीं है
खास बातें
-देश में 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव होते थे-विधि आयोग की 1999 में आई 170वीं रिपोर्ट में भी एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश हुई थी