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नई दिल्ली

अब जनता देगी जवाब : आप का चौका, भाजपा को मौका या कांग्रेस की वापसी

– 32 साल पहले भाजपा ने जीता था चुनाव
-12 साल बाद कांग्रेस मजबूती से पैर जमाने की कर रही कोशिश
-दिल्ली विधानसभा चुनाव

नई दिल्लीJan 08, 2025 / 10:54 am

Shadab Ahmed

शादाब अहमद

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सियासी समीकरण का जोड़-तोड़ शुरू हो गया है। अब जनता जवाब देगी कि आम आदमी पार्टी (आप) जीत का चौका लगाएगी या फिर 32 साल बाद भाजपा दिल्ली की ‘गद्दी’ पर वापसी करेगी। इस बीच कांग्रेस भी 12 साल बाद मजबूती से चुनाव लड़ते हुए पैर जमाने की कोशिश कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तीसरा कार्यकाल चल रहा है। दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक बना ली है। इसके बावजूद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा डबल इंजन की सरकार नहीं बना सकी है। यहां आप व अरविंद केजरीवाल का जलवा तीन चुनावों में बरकरार रहा है। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में माहौल अलग सा दिख रहा है। इस बार केजरीवाल के साथ आप के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार व अन्य तरह के संगीन आरोप लगे हैं। कई महीनों तक यह नेता जेल भी रहकर आए हैं। कई नेताओं ने दल-बदल भी किया। कुछ नेता असंतुष्ट भी है। यह सभी चुनाव में मुद्दे बने हुए हैं। इनके बीच केजरीवाल को अपनी गारंटियों और कार्यक्रम के बलबूते चुनाव में लगातार चौथी जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है। वहीं कांग्रेस की जमीन लगातार खिसकती चली गई। कांग्रेस इस बार अच्छे तरीके से चुनाव लडक़र प्रदर्शन सुधारने की कोशिश में लगी है।

1993 में जीता था भाजपा ने चुनाव

दिल्ली विधानसभा का 1993 का चुनाव भाजपा ने जीता था। इसके बाद 1998, 2003 और 2008 में कांग्रेस की सरकार बनी। जबकि 2013, 2015 और 2020 में आप ने चुनाव जीतकर सरकार बनाई। ऐसे में भाजपा को यहां 32 साल से जीत का इंतजार है।

आप: नए दाव पेंच

पिछले कुछ राज्यों में सरकार बनाने में महिलाओं की भूमिका अहम रही है। इसके पीछे उनसे जुड़ी योजनाएं शामिल है। दिल्ली में चुनाव से ठीक पहले आप ने भी दिल्ली में महिला सम्मान योजना का वादा कर बड़ा दाव खेला है। वहीं भाजपा के आक्रमक हिंदुत्व के एजेंडे के चलते आप ने पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपए प्रति माह सम्मान राशि देने का वादा किया है। इसके अलावा आप को नागरिकों को बेहतर सेवाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजग़ार के अवसर जैसी योजनओं के भरोसे जीत की उम्मीद है।

भाजपा: दंगा, राष्ट्रवाद, हिंदुत्व का एजेंडा

भाजपा ने जिस तरह से अपना प्रचार अभियान चला रखा है, उससे साफ पता चल रहा है कि दिल्ली दंगे के साथ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे पर आक्रमक रहेगी। इसके साथ ही दिल्ली की बदहाल सडक़ें, किसानों की उपेक्षा, स्कूल और अस्पतालों की बदहाली को भी मुद्दा बना रही है। वहीं मोदी की गारंटी और केन्द्र सरकार के कामकाजों को दिखाकर भाजपा वोट मांग रही है।

कांग्रेस: पुराने कामों की दिला रही याद

कांग्रेस अपने परंपरागत मतदाताओं की वापसी के साथ प्रदर्शन सुधारने की भरसक कोशिश कर रही है। इसके लिए पार्टी ने चुनाव घोषणा से पहले अधिकांश उम्मीदवारों के नाम घोषित किए। साथ ही दिल्ली की बदहाली के लिए केन्द्र की भाजपा और राज्य की आप सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वहीं शीला दीक्षित सरकार के समय हुए विकास कार्यों को जनता को याद दिलाया जा रहा है। 

यह आरोप करेंगे सत्ताधारी आप को परेशान

1. भ्रष्टाचार: अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन जैसे शीर्ष नेताओं को जेल तक जाना पड़ा है। मनी लॉन्ड्रिंग और शराब घोटाला समेत भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। 
2. शीशमहल: अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके आवास का रेनोवेशन किया गया। कांग्रेस और भाजपा सीएम आवास को शीशमहल कह कर केजरीवाल पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहे हैं।

3. यमुना में गंदगी व कचरे के पहाड़: यमुना नदी की सफाई नहीं होना और कचरे के पहाड़ होने भी बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है।

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