खास बात ये है कि पक्षियों को मिलने वाला यह सम्मान पहली बार किसी स्तनधारी को मिला है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि अब यह देश बैटी हो गया है। पक्षी प्रेमियों का मानना है कि यह चुनाव सही नहीं है, अवॉर्ड देने में धोखाधड़ी की गई है।
वहीं इस मामले पर बर्ड ऑफ द ईयर अवॉर्ड को आयोजित करने वाली संस्था फॉरेस्ट एंड बर्ड ने सफाई दी है। संस्था का कहना है कि चमगादड़ को यह अवॉर्ड देकर हम कोरोना वायरस से संबंधित उसकी खराब इमेज को सुधारना नहीं चाहते। संस्था की प्रवक्ता ने कहा कि लोगों ने वोट किया है, उसमें हम कुछ नहीं कर सकते। वोट का आधार प्रीडेटर कंट्रोल, हैबिटेट रेस्टोरेशन और क्लाइमेट एक्शन के आधार पर भी होता है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि किसी जीव को बचाया कैसे जा रहा है।
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