नई दिल्ली

जापान में मिली चाकू जैसे धारदार पंजे वाले डायनासोर की नई प्रजाति, वैज्ञानिकों ने खोजा विशालकाय जीवाश्म

जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में पाए गए जीवाश्म अवशेषों से क्रिटेशियस काल के दौरान रहने वाले थेरिज़िनोसॉरिड डायनासोर की एक नई प्रजाति और प्रजाति की पहचान की गई है। इस प्रकार के जीवाश्म सबसे पहले एशिया में खोजे गए थे और मंगोलिया और चीन जैसे देशों में थेरिज़िनोसॉरस जीवाश्म प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

नई दिल्लीJun 12, 2022 / 07:43 pm

Archana Keshri

जापान में मिली चाकू जैसे धारदार पंजे वाले डायनासोर की नई प्रजाति, वैज्ञानिकों ने खोजा विशालकाय जीवाश्म

जूरासिक युग के जीवों में शिकारी डायनासोर सबसे प्रचलित जीव हैं. जब भी किसी डायनासोर जैसे विशाल जीव के जीवाश्म अवशेष वैज्ञानिकों को मिलते हैं तो वह पूरी दुनिया की सुर्खियां बटोर लेता है। जापान में हाल ही में खोजे गए जीवाश्म का विश्लेषण करते हुए, वैज्ञानिकों ने डायनासोर की एक नई प्रजाति का वर्णन किया है और उनके पंजों के विकास पर प्रकाश डाला है। खोजे गए ये नए डायनासोर ‘क्रेटेशियस युग’ के दौरान हमारे धरती पर घूमते थे। वैज्ञानिको के अनुसार खोजे गए नए जीवाश्म ‘थेरिज़िनोसॉरस’ नामक डायनासोर के एक समूह से संबंधित था।
थेरिज़िनोसॉरस छोटे से बड़े, मुख्य रूप से शाकाहारी, थेरोपोड डायनासोर का परिवार था। होक्काइडो विश्वविद्यालय संग्रहालय के जीवाश्म विज्ञानी योशित्सुगु कोबायाशी और उनके सहयोगियों ने कहा, “थेरिज़िनोसॉर मुख्य रूप से मंगोलिया और चीन में क्रेटेशियस युग से पाए गए हैं।” जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने हाल ही में जापान में पाए गए ऐसे ही एक थेरिज़िनोसॉरस जीवाश्म का वर्णन किया।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि थेरिज़िनोसॉरस दो पैरों का उपयोग करके चलते थे, ये मुख्य रूप से शाकाहारी थे और उनकी तीन पैर की उंगलियां थीं। वे क्रेटेशियस काल के दौरान लगभग 145 मिलियन से 66 मिलियन वर्ष पहले ग्रह पर घूमते थे। हालांकि, पाए गए थेरिज़िनोसॉरस के नए जीवश्म की एक अलग प्रजाति है, जिसे शोधकर्ताओं ने ‘पैरालिथेरिज़िनोसॉरस जैपोनिकस’ नाम दिया है।
https://twitter.com/HokkaidoUni/status/1534732818932060160?ref_src=twsrc%5Etfw
यह जीवाश्म एक हुक के आकार के पंजे के साथ एक भाग रीढ़ और एक भाग कलाई और अगले पैर के साथ मिला था। यह मूल रूप से 2008 में शोधकर्ताओं की एक अलग टीम द्वारा जापान के होक्काइडो में जीवाश्म-समृद्ध ओसुशिनाई फॉर्मेशन से खोजा गया था। शुरुआत में, जीवाश्म विज्ञानियों का मानना था कि यह थेरिज़िनोसॉरस का था, लेकिन तुलनात्मक डेटा की कमी के कारण इसकी पुष्टि नहीं कर सका।
मगर डेटा के आकड़ों में इजाफा होते हीं वैज्ञानिकों ने जीवाश्म को फिर से देखने का फैसला किया, जिसके बाद फोरफुट पंजों की आकृति विज्ञान के आधार पर पाया गया की ये विशाल जानवर भी थेरिज़िनोसॉरस समूह से है। नए एनालिसिस के आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि जीवाश्म एक थेरिज़िनोसॉर का था जो लगभग 80 मिलियन से 82 मिलियन वर्ष पहले रहता था।

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वैज्ञानिको ने बताया कि इस नए डायनासोर की र की हड्डियों में चाकू जैसा पंजा था, जिसका इस्तेमाल उसने उन्होंने अन्य जानवरों और जीवों को चीरने-फाड़ने के बजाय अन्य जीवों की तुलना में पौधों को काटने के लिए किया करते थे। दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय (एसएमयू) में पृथ्वी विज्ञान के रॉय एम हफिंगटन विभाग में शोध प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक एंथनी फियोरिलो ने बताया, “ये डायनासोर ने अपने पंजों का इस्तेमाल आक्रमण करने के बजाय झाड़ियों और पेड़ों को खाने के लिए इस्तेमाल करते थे। और इसके अलावा अकेले इस नमूने के आधार पर, यह निश्चित रूप से जानना असंभव है कि थेरिज़िनोसॉर कितना बड़ा था।”
एंथनी फियोरिलो ने कहा कि माना जाता है कि ये डायनासोर जमीन पर ही मरे थे मगर बाद में समुद्र में बह गए। अध्ययन के अनुसार, थेरिज़िनोसॉर जीवाश्म पूरे एशिया के साथ-साथ उत्तरी अमेरिका (विशेषकर अब डेनाली नेशनल पार्क और अलास्का में संरक्षित) में पाए गए हैं, और समय के साथ, जानवरों को तटीय वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित किया गया है। दो और थेरिज़िनोसॉर जीवाश्म पहले जापान में खोजे गए थे, लेकिन अभी तक उनका अब तक ठीक से जांच नहीं की जा सकी है।

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