राहुल ने इस तरह से आरक्षण के मुद्दे पर रखी बात
दरअसल, जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में आरक्षण को लेकर पूछे एक सवाल पर राहुल ने कहा कि भारत सरकार को 70 नौकरशाह चलाते हैं, ये वे लोग हैं जो लगभग सभी वित्तीय निर्णय लेते हैं। इनमें एक आदिवासी, तीन दलित और तीन ओबीसी हैं और शायद एक अल्पसंख्यक। जबकि दलितों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलाकर आबादी का 73 प्रतिशत होते हैं। लेकिन भारत सरकार में 90 प्रतिशत जनसंख्या को उन पदों का 10 प्रतिशत से भी कम हिस्सा मिलता है, जो यह तय करते हैं कि पैसा कैसे खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वास्तविक वित्तीय आंकड़ों को देखें तो आदिवासियों को 100 रुपए में से केवल 10 पैसे, दलितों और ओबीसी को करीब 5-5 रुपए मिलता है। वास्तविकता यह है कि उन्हें भागीदारी का अवसर नहीं मिल रहा है। समस्या यह है कि भारत के 90 प्रतिशत लोग भाग नहीं ले पा रहे हैं। इसी तरह भारत के के शीर्ष 200 उद्यमियों में से केवल एक ओबीसी होगा। जबकि ओबीसी भारत की 50 प्रतिशत जनसंख्या हैं। यही इस समय की सबसे बड़ी समस्या है। इसका समाधान नहीं कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि आरक्षण ही एकमात्र साधन नहीं है और भी साधन हैं। लेकिन हमें आरक्षण को समाप्त करने के बारे में तभी सोचना चाहिए जब भारत एक निष्पक्ष स्थान बन जाए और अभी भारत एक निष्पक्ष स्थान नहीं है।