नई दिल्ली

मेरे दरवाजे 24 घंटे किसानों के लिए खुले हैं: धनखड़

-इतिहास को विकृत कर कुछ लोगों का एकाधिकार बनाया गया
-भारत मंडपम में राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती के अवसर पर बोले उपराष्ट्रपति

नई दिल्लीDec 02, 2024 / 12:38 pm

Shadab Ahmed

नई दिल्ली. उपराष्ष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जो हो चुका है, वह हो चुका, लेकिन आगे का रास्ता सही होना चाहिए। एक विकसित भारत का निर्माण किसानों की भूमि से होता है। विकसित भारत की यात्रा खेतों से होती है। किसानों की समस्याओं का समाधान तेज गति से होना चाहिए। अगर किसान परेशान है तो देश की आन-बान को बहुत बड़ा आघात लगता है। धनखड़ ने संकल्प किया कि किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए उनके दरवाजे 24 घंटे खुले रहेंगे।
धनखड़ ने यह बातें भारत मंडपम में राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था ठीक है, आर्थिक प्रगति शानदार है। हमारी वैश्विक छवि बहुत उच्च है, लेकिन 2047 तक एक विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि हमारे किसान संतुष्ट हों। हमें याद रखना होगा कि हम अपने ही लोगों से नहीं लड़ते, हम अपने ही लोगों को धोखा नहीं देते। जब किसान की समस्याओं का समाधान तुरंत नहीं हो रहा है तो कैसे नींद आ सकती है? उन्होंने किसानों से कहा कि इस देश में समस्याओं का समाधान संवाद और समझ के माध्यम से होता है। राजा महेंद्र प्रताप इस दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध थे। असाध्य और संघर्षपूर्ण स्थिति कूटनीति की नाकामी है। उन्होंने आगे कहा कि हमें समाधानों को तलाशने के लिए चर्चा के लिए खुले रहना होगा क्योंकि यह देश हमारा है, और यह ग्रामीण पृष्ठभूमि से प्रभावित है।

इतिहास में नायकों के साथ अन्याय

धनखड़ ने कहा कि हमारे इतिहास की किताबों ने हमारे नायकों के साथ अन्याय किया है। हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, और कुछ लोगों का एकाधिकार बना दिया गया है कि उन्हीं के कारण हमें स्वतंत्रता मिली। यह हमारी अंतरात्मा पर एक असहनीय पीड़ा है। यह हमारे दिल और आत्मा पर एक बोझ है। हमें इसमें बड़ा बदलाव लाना होगा। राजा महेंद्र प्रताप एक जन्मजात कूटनीतिज्ञ, एक जन्मजात राजनेता, एक दूरदर्शी और एक राष्ट्रवादी थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में हैं, लेकिन हम इस महान आदमी की ऐसी वीरता को पहचानने में असफल रहे हैं। हमारे इतिहास ने उन्हें वह स्थान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। धनखड़ ने कहा कि यह अनिवार्य है कि हम बिना किसी रुकावट के ऐतिहासिक घटनाओं को प्रस्तुत करें ताकि इस पीढ़ी और आने वाली पीढिय़ों में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित किया जा सके।

कई महत्वपूर्ण घटनाओं को नहीं मिला महत्व

धनखड़ ने कहा कि कई महत्वपर्णू घटनाओं को इतिहास में महत्व नहीं मिला है। उदयपुर के समीप 1913 की मंगर हिल में जलियांवाला बाग से बहुत पहले 1507 आदिवासी ब्रिटिश गोलियों का शिकार बने थे। इतिहास ने इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया। इसी तरह डॉ. भीमराव अंबेडकर को देरी से 1990 में भारत रत्न पर भी सवाल उठाया।

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